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छठ पूजा पर अलग-अलग जिलों में क्या रहेगा सूर्योदय-सूर्यास्त का समय, जानें अर्घ्य की विधि और महत्व

छठ पूजा (Chhath Puja) एक ऐसा त्यौहार है जिसे लोग आस्था का महापर्व कहा जाता है। बिहार जैसे जिलों में इसका विशेष महत्व माना गया है। फिलहाल देश और प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में इसे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। आज इस चार दिवसीय महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा में सूर्यास्त कब सूर्योदय के समय का काफी महत्व माना गया है। आज का अर्घ्य सूर्यास्त के समय दिया जाता है ऐसे में हम आपको अलग-अलग जिलों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की जानकारी देते हैं। यह जान लीजिए कि प्रदेश के 38 जिलों में सूर्यास्त का समय 5:01 से 5:18 तक रहने वाला है। वही 28 अक्टूबर को सूर्योदय 5:45 से 6:01 के बीच रहेगा। चलिए इसके महत्व के बारे में जान लेते हैं।

छठ पूजा सूर्यास्त समय (Chhath Puja)

अलग-अलग शहरों में सूर्योदय सूर्यास्त के समय की बात करें तो पटना में सूर्यास्त का समय 5:11, गया में 5:11 मिनट, भागलपुर में 5:04, पूर्णिया में 5:02, मुजफ्फरपुर में 5:10, पश्चिम चंपारण में 5:12, सारण में 5:08, अररिया में 5:01, दरभंगा में 5:08, मधुबनी में 5:07, गोपालगंज में 5:13, बक्सर में 5:16, वैशाली में 5:11, समस्तीपुर में 5:07, बेगूसराय में 5:08 पर सूर्यास्त होगा।

28 अक्टूबर को सूर्योदय का समय

28 अक्टूबर को सूर्योदय के समय भी अर्घ्य जाता है। पटना में इसका समय 5:55, गया में 5:55, भागलपुर में 5:45, पूर्णिया में 5:46, मुजफ्फरपुर में 5:54, दरभंगा में 5:52, अररिया में 5:46, मधुबनी में 5:52, गोपालगंज में 5:58, बक्सर में 5:59, समस्तीपुर में 5:51, वैशाली में 5:55, बेगूसराय में 5:50 समय रहने वाला है।

कैसे देते हैं अर्घ्य

छठ पूजा में संध्या अर्घ्य को मुख्य दिन माना गया है। इस दिन व्रत करने वाला कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूरज को अर्घ्य देता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह परंपरा निभाई जाती है। इस दिन बांस की टोकरी में कुछ फल और प्रसाद सजाकर उन्हें सूर्य को अर्पित किया जाता है।

यहां जान लें विधि

याद रखें कि संध्या का अर्घ्य आपको कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देना होगा।

बांस की जो टोकरी होती है उसमें फल, नारियल, ठेकुआ, गन्ना और चावल के लड्डू रखने होंगे।

नदिया तलाब में कमर तक पानी में खड़े होने के बाद दूध में जल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

जो सामग्री आपने सूप में सजाई है आपको वह भी सूर्य देव को अर्पित करनी होगी।

इस दौरान छठी मैया के लोकगीत और मंत्रों का जाप जरुर करें।

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