देवउठनी एकादशी पर अगर बोले ये 5 मंत्र, विष्णुजी कर देंगे हर मनचाही मुराद पूरी
कार्तिक मास की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025) कहा जाता है। यह वही पावन तिथि है जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। मान्यता है कि इस दिन से ही सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश और नए आरंभ पुनः प्रारंभ होते हैं। इस खास दिन भक्त व्रत रखते हैं, भगवान श्रीहरि की पूजा करते हैं और विशेष मंत्रों का जाप कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा से इस दिन विष्णु जी के मंत्रों का जाप करते हैं, उनकी मनचाही मुरादें पूरी होती हैं। अगर आप भी श्रीविष्णु की कृपा चाहते हैं, तो इस देवउठनी एकादशी पर इन पवित्र मंत्रों का जाप अवश्य करें।
देवउठनी एकादशी 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह पर्व 1 नवंबर (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह स्नान-ध्यान कर व्रत रखने, तुलसी विवाह करने और भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन व्रती भक्तों को सूर्योदय से पहले स्नान कर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
श्रीविष्णु की कृपा पाने के लिए करें ये शक्तिशाली मंत्र जाप
1️ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
यह मंत्र भगवान विष्णु का सबसे प्रभावशाली बीज मंत्र है। इसका अर्थ है,हे भगवान वासुदेव! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। इस मंत्र के जाप से मन को शांति मिलती है, पाप कर्मों से मुक्ति और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। जाप संख्या: 108 बार या 1008 बार तुलसी की माला से।
2️ ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्॥
यह विष्णु गायत्री मंत्र कहलाता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का मन स्थिर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं।इसका नियमित जाप करने से भगवान विष्णु की दिव्य कृपा सदैव बनी रहती है।
3️ ॐ श्री विष्णवे नमः
यह छोटा लेकिन अत्यंत प्रभावी मंत्र है। इस मंत्र के जाप से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि का वास होता है। विशेषकर देवउठनी एकादशी के दिन इसका जाप अत्यंत फलदायी माना गया है।
4️ ॐ विष्णवे नमो नमः
यह मंत्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसका जाप करते हुए भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। यह मंत्र हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो जीवन में शांति, प्रेम और स्थिरता चाहता है।
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर श्रीविष्णु और तुलसी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- दीपक जलाकर भगवान को पंचामृत स्नान कराएं।
- तुलसी पत्र, चावल, पीले फूल और शुद्ध घी का दीप अर्पित करें।
- इसके बाद ऊपर बताए गए मंत्रों का श्रद्धा भाव से जाप करें।
- अंत में तुलसी विवाह या भगवान विष्णु को शयन भोग लगाकर आरती करें।
देवउठनी एकादशी का धार्मिक और पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष एकादशी (हरिशयनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। चार महीने तक वे क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर विश्राम करते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें सभी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इसके बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी, देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु जागते हैं, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यही कारण है कि इस दिन को “देवों के जागने का पर्व” माना गया है।
इस दिन का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन चंद्रमा की स्थिति मन और भावनाओं पर विशेष प्रभाव डालती है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से बुध और गुरु ग्रह के दोष शांत होते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में धन, संतान या विवाह संबंधी बाधाएँ हैं, तो इस दिन पूजा और मंत्र जाप से वह दूर होती हैं।
तुलसी विवाह का भी है विशेष महत्व
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करने की भी परंपरा है। यह विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और देवी तुलसी के बीच संपन्न होता है। इस विवाह में भाग लेने से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, प्रेम और दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है। कई लोग इस दिन अपने विवाह योग्य बच्चों के लिए भी विशेष प्रार्थना करते हैं।
क्या न करें इस दिन
- एकादशी के दिन अन्न ग्रहण न करें, फलाहार ही करें।
- क्रोध, झूठ और चुगली से बचें।
- दूसरों की आलोचना या अपमान न करें।
- इस दिन शराब या मांस का सेवन करना बहुत बड़ा पाप माना गया है
