एक ही जगह, एक ही समय, एक से अधिक फसल उगाने से बढ़ेगी आमदनी
काशीपुर। अमूमन किसान एक समय में एक ही फसल की खेती कर पाते हैं। लेकिन अब आमदनी बढ़ाने के लिए किसान कृषि में नई तकनीक और प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी में से एक है मल्टीलेयर कृषि, इसमें किसान एक ही समय में एक ही जगह पर कई तरह की फसल लगा सकते हैं। इसमें सबसे पहले ऐसी फसल बोई जाती है, जो जमीन के अंदर उगती है। उसके बाद ऐसी फसलें बोई जाती हैंं, जो जमीन के थोड़ी ऊपर तक आएं और फिर उससे अधिक ऊंची फसलें बोई जाती हैं। किसानों की जरूरतों को देखते हुए सूर्या फाउंडेशन की ओर से तीन दिवसीय मल्टीलेयर कृषि प्रणाली प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को कृषि करने की सरल और लाभकारी पद्धति के बारे में बताया गया। ग्राम बसई में आयोजित प्रशिक्षण में कार्यशाला प्रशिक्षक आकाश चौरसिया ने यूपी सहित काशीपुर के 50 किसानों मल्टीलेयर कृषि का ढांचा करने सहित अन्य जरूरी चीजों का प्रशिक्षण दिया। बताया कि इस पद्धति की पहली लेयर जमीन के नीचे अदरक, हल्दी, मूली, गाजर आदि उगाई जाती है। प्रथम तल में जमीन पर उगने वाली फसलें धनियां, पालक आदि, दूसरे तल में लता वाली फसलें लौकी, सेम, तोरई और सबसे ऊपर फलों वाली फसल पपीता, सहजन आदि की खेती होती है। प्रगतिशील किसान मनोज सैनी के खेत में मल्टीलेयर कृषि प्रणाली का ढांचा तैयार कर प्रयोग भी किया। वहां संजय वशिष्ठ, विकास विश्वकर्मा, नरोत्तम, भरत साह आदि मौजूद रहे।
-70 से 80 प्रतिशत पानी की बचत।
-मौसम के बुरे प्रभाव से बचाव।
– कीड़ों का प्रकोप कम हो जाता है।
– खाद की तीन गुना कम लागत।
– तीन गुना जमीन का एरिया कम।
-समय और धन की तीन गुना बचत होती है।
– खरपतवार 70 से 80 प्रतिशत कम हो जाते हैं।
– उत्पादन तीन गुना बढ़ जाता है।
– फसल की गुणवत्ता अच्छी होती है