कनाडा में महामारी की तीसरी लहर की चेतावनी,
कनाडा के 10 प्रांतों में कोरोना वायरस की नई किस्मों का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने महामारी की तीसरी लहर की चेतावनी दी है. आपको बता दें कि कोरोना वायरस की तीन नई किस्मों, दक्षिण अफ्रीकी वैरिएन्ट, ब्रिटिश वैरिएन्ट और ब्राजीलियन वैरिएन्ट के बारे में विशेषज्ञ खास तौर से चिंतित हैं.
कोरोना वायरस की नई किस्मों ने कनाडा की बढ़ाई मुश्किल
शनिवार को अधिकारियों ने एलान किया कि कनाडा के 10 प्रांतों में ब्रिटिश B.1.1.7 वैरिएन्ट का पता चला है. ब्रिटिश वैरिएन्ट ज्यादा संक्रामक जाना जाता है और उसका जिक्र केन्ट वैरिएन्ट के तौर पर भी किया जाता है. केन्ट वैरिएन्ट का भारत समेत करीब 60 देशों में भी पता लगाया गया है. इसके अलावा, कनाडा ने अब तक दक्षिण अफ्रीकी B.1.351 वैरिएन्ट के 28 मामले दर्ज किए हैं. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने बताया कि एक मामला ब्राजीलियन P.1 स्ट्रेन का भी सामने आया है.
10 प्रांतों में मामला सामने आने के बाद अधिकारी ज्यादा सतर्क
कोविड-19 के फैलाव में कमी आने के बावजूद कनाडा के मुख्य जन स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर थेरेसा टैम इन वैरिएन्ट्स की मौजूदगी को देखते हुए प्रांतों और लोगों से स्वास्थ्य उपायों का सख्ती से पालन करने का आग्रह कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “इसलिए हमें स्वास्थ्य उपायों और लोगों की आदतों पर सख्त सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है. इससे इन वैरिएन्ट्स की रोकथाम में मदद मिलेगी और महामारी को बहुत ज्यादा मुश्किल बनने से काबू किया जा सकेगा.”
ब्रिटेन के जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम प्रमुख शैरोन पीकॉक समेत कई विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है कि कोरोना वायरस का B.1.1.7 वैरिएन्ट वर्तमान की कोविड-19 वैक्सीन से मिलनेवाली सुरक्षा को कमजोर कर सकता है. ब्रिटेन के केंट क्षेत्र में B.1.1.7 वैरिएन्ट का पता पहली बार चला था. दर्जनों भारतीय कोरोना वायरस की जांच में B.1.1.7 वैरिएन्ट से पॉजिटिव पाए गए हैं.
भारत को नहीं है ज्यादा खतरा- वैक्सीन हैं प्रभावी
रिसर्च से पता चला है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ब्रिटेन के नए वैरिएन्ट के खिलाफ असर कर सकती हैं. दोनों वैक्सीन की भारत में मंजूरी दी जा चुकी है और टीकाकरण भी चल रहा है. इसका मतलब हुआ कि वैरिएन्ट्स की चिंता और कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के खतरे से भारत शायद सुरक्षित है. कनाडा में कोरोना वायरस संक्रमण के 8 लाख 23 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 21 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.