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बारिश ना होने से लीची का आकार हुआ छोटा, भीषण गर्मी में खट्टा हुआ स्वाद..बागवानों को नुकसान

रामनगर की लीची देश में काफी पसंद की जाती है। यहां की लीची को लेने के लिए खरीददार पहले ही डेरा डाल लेते है। भीषण गर्मी और बारिश ना होने की वजह से इस बार लीची का आकार छोटा रह गया, जिससे लीची के उत्पादन में असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में लीची कारोबारी को इस बार लीची का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। रामनगर की लीची को जीआई टैग मिला हुआ है और रामनगर में 900 हेक्टेयर में लीची का उत्पादन होता है। बारिश और भीषण गर्मी के चलते इस बार लीची का गुदा (पल्प) नहीं बना और लीची के आकार में कमी आयी है। लीची के आकार में आयी कमी के चलते कारोबारी को लीची के सही दाम नहीं मिल रहे है। बारिश नहीं होने से इस बार लीची के स्वाद में खट्टापन आया है, जबकि लीची की मिठास सभी को भाती है। इस बार लीची की फसल कमजोर होने से कारोबारियों के माथे पर सिकन साफ दिखाई दे रही है। कारोबारी ललित नेगी ने बताया इस बार लीची की फसल कमजोर हुई है। आकार में छोटी होने की वजह से कम वजन से ज्यादा लीची चढ़ रही है। बारिश समय पर होती तो लीची के आकार में बढ़ोत्तरी होती।

रामनगर की लीची की मिठास को देखते हुए इसकी मांग काफी रहती है। चडीगढ़, दिल्ली, लखनऊ, मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बिजनौर, बरेली सहित आदि शहरों में लीची की सप्लाई की जाती है। लीची लेने के लिए आढ़ती रामनगर पहुंच चुके है, लेकिन लीची की फसल देखकर उचित दाम नहीं दे रहे है।

उद्यान प्रभारी अर्जुन सिंह परवाल ने बताया कि मौसम में आए बदलाव के चलते इस बार दस लेट लीची बाजार में आयी है। भीषण गर्मी और बारिश न होने लीची की फसल पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाया है। इस कारण लीची का गुदा (पल्प) नहीं बना और आकार में छोटी हो गई है।

लीची के दामों की बात करें तो बगीचों से अच्छी लीची 150 रुपये किलो तक बिक रही है, जबकि औसत लीची 100 से 120 किलो बिक रही है। वहीं बाजारों की बात करें तो बाजार में अच्छी लीची 180 रुपये किलो मिल रही है। औसत लीची 140 से 150 किलो बिक रही है।

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