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अपने बच्चों को जरूर दिखाएं ये 3 फिल्में, मिलेगी जीवन जीने की सीख

बच्चों के लिए माता-पिता के साथ सिनेमा का अनुभव न सिर्फ मजेदार होता है बल्कि सीखने का भी एक शानदार तरीका है। बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में हैं जो बच्चों को प्रेरित करती हैं और उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। मसलन, फिल्म ‘3 इडियट्स’ एक ऐसी ही फिल्म है। यह फिल्म तीन दोस्तों की कहानी है जो इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं और हमें सिखाती है कि सफलता सिर्फ डिग्री हासिल करने से नहीं मिलती। असली सफलता तो तब मिलती है जब हम अपने जुनून को पहचानते हैं और उसके पीछे लग जाते हैं। यह फिल्म बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने और अपने रास्ते खुद बनाने के लिए प्रेरित करती है।

‘दंगल’

बॉलीवुड की फिल्म ‘दंगल’ एक ऐसी फिल्म है जिसे हर बच्चे, खासकर लड़कियों को जरूर देखना चाहिए। यह फिल्म हमें बताती है कि लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। फोगाट ने अपनी बेटियों को पहलवान बनाकर यह साबित कर दिया कि लड़कियां भी हर क्षेत्र में सफल हो सकती हैं। इस फिल्म के माध्यम से लड़कियों में आत्मविश्वास और हिम्मत पैदा होती है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि सपने देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। माता-पिता को अपनी बेटियों को यह फिल्म जरूर दिखानी चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें और आगे बढ़ें।

तारे ज़मीन पर”

“तारे ज़मीन पर” एक ऐसी फिल्म है जो हर माता-पिता और बच्चे के लिए एक मिसाल है। यह फिल्म एक ऐसे बच्चे की कहानी बयान करती है जिसे पढ़ाई में बहुत मुश्किल होती है। लेकिन एक शिक्षक के आने से उसकी जिंदगी बदल जाती है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि हर बच्चा खास होता है और उसकी अपनी प्रतिभा होती है। हमें बच्चों को उनकी रुचियों के अनुसार पढ़ना चाहिए न कि उन्हें किसी ढांचे में ढालना चाहिए। माता-पिता को इस फिल्म को अपने बच्चों के साथ जरूर देखना चाहिए ताकि वे अपने बच्चों को बेहतर ढंग से समझ सकें और उनकी प्रतिभा को निखार सकें।

“निल बटे सन्नाटा”

“निल बटे सन्नाटा” एक ऐसी फिल्म है जो हर माता-पिता और बच्चे के लिए एक मजबूत संदेश देती है। यह फिल्म एक मां और उसकी बेटी के रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से दर्शाती है। मां चाहती है कि उसकी बेटी पढ़-लिखकर एक अच्छा जीवन जीए, लेकिन बेटी अपनी मां की तरह घर के कामों में मदद करना चाहती है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति के सपने होते हैं और उन्हें पूरा करने का हक होता है। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि हमें अपने सपनों को दबाना पड़ता है।

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