अपनी ही जमीन पर कब्जे को तरसते किसान
नसीराबाद/रायबरेली। प्रदेश की योगी सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाने और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए जितने ही कदम उठाती है, उसके मातहत अधिकारी भ्रष्टाचार के दलदल में उतने अधिक डूबते चले जाते हैं। अधिकारियों की पैसे की भूख सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है।
सलोन तहसील के अधिकारी और कर्मचारी पैसे वालों के सामने जहां मुजरा करते नज़र आते हैं वहीं कमजोर लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। अगर आपको अपनी भूमिधरी जमीन पर कब्जा पाने के लिए पैमाइश करानी है तो सरकारी फीस जमा करने के बावजूद आपको गले तक भ्रष्टाचार में डूबे तहसील के लोगों को खुश करना पड़ेगा।
नापजोख के कुछ मामले लेखपाल ही निपटा देते हैं तो कुछ में पैमाइश के लिए एसडीएम न्यायालय में वाद दायर करके हदबरारी करवाने को कहते हैं।
सरकारी फीस जमा करने के बावजूद कई कई महीनों तक काश्तकार को दौड़ाया जाता है और बिना सुविधा शुल्क लिए पैमाइश नहीं की जाती इतने पर भी पीड़ित का दर्द समाप्त नहीं होता। किसी तरह पैमाइश हो भी गई तो राजस्व निरीक्षक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में महीनों गंवा देते हैं और एक बार फिर काश्तकार को उन्हें खुश करना पड़ता है। इसके बाद भी जमीन के कानूनी मालिक को कब्जा मिल जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।
नसीराबाद थाना क्षेत्र के कुछ उदाहरण देखें जिनमें जमीन के असली मालिक कब्जा पाने के लिए तहसील समाधान दिवस और थाना दिवस के अलावा भी राजस्व तथा पुलिस विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं लेकिन अभी तक अपनी जमीन पर कब्जा नहीं पा सके।
केस नंबर 1-थाना क्षेत्र के काजीपुर तेलियानी ग्राम के निवासी मोहम्मद शमीम के द्वारा दायर वाद में 2011 में एसडीएम के न्यायालय से हिस्सा बंटवारा का आदेश पारित हुआ। परंतु आर्थिक तंगी के चलते वादी जमीन पर मकान नहीं बना सका। 2024 में मकान बनने से विपक्ष द्वारा रोकने पर राजस्व विभाग ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर पीड़ित को कब्जा दिलाया। उसने नींव खोदकर तीन पिलर भी खड़ा कर दिया और फिर खेल शुरू। यूपी डायल 112 और उसी थाना की पुलिस ने निर्माण कार्य रोकवा दिया। पीड़ित करीब 3 महीनो तक थाना, तहसील, जिला का चक्कर काट कर थक गया तो मजबूरन उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
केस नंबर 2- बरोकवा मजरे संडहा निवासी रामविलास गुप्ता की करीब सवा बीघा जमीन नसीराबाद थाना क्षेत्र के ग्राम कुंवरमऊ में स्थित है जिस पर कब्जा पाने के लिए वह कई वर्षों से थाना, तहसील, जिला का चक्कर काट रहा है। उसे तो आज तक अपनी जमीन पर कब्जा नहीं मिला,किंतु दबंग प्रतिपक्षी उसकी जमीन पर हर वर्ष धान और गेहूं की फसल उगा रहा है।
केस नंबर 3- ऐलहना मजरे अशरफपुर निवासी जाबिर पुत्र करामत ने बाकायदा रजिस्ट्री बैनामा द्वारा जमीन गाटा संख्या 1168/3 खरीदी और राजस्व विभाग द्वारा पुलिस की मौजूदगी में हदबरारी की गई। प्रतिपक्षीगण राम सुमेर आदि जिनके पास उक्त भूमि संबंधी कोई कागज नहीं है,जबरन काबिज हो रहे हैं और कई शिकायतों के बावजूद पुलिस तथा राजस्व विभाग कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।