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बहराइच में क्यों आदमखोर हुए भेड़िये, क्या कर रहीं वन विभाग की 16 टीमें.. अब तक 9 की मौत

उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला इन दिनों सुर्खियों में हैं। यहां पिछले कुछ समय से आदमखोर भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है। पिछले करीब डेढ़ महीने में इन भेड़ियों ने नौ लोगों की जान ले ली है जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं। उधर भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की कई टीमें लगी हुई हैं। वन विभाग सुरक्षा के लिए ड्रोन मैपिंग कर रहा है। साथ ही थर्मल ड्रोन से भी भेड़ियों को पकड़ने के लिए निगरानी जारी है। अब तक चार भेड़ियों को पकड़ा भी जा चुका है।

यूपी के बहराइच में भेड़ियों के आतंक का मामला क्या है?
बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों ने दहशत मचा रखी है। बीते डेढ़ महीनों में भेड़ियों के झुंड ने महिलाओं और बच्चों समेत नौ लोगों की जान ले ली है। पिछले चार दिनों में दो लोग, एक महिला और एक बच्चा, भेड़ियों का शिकार बन गए। इसके अलावा, भेड़ियों ने 35 लोगों को घायल कर दिया है, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
करीब 50 गांवों में भेड़ियों के हमले से लोगों में डर का माहौल है। महिलाएं अपने बच्चों के साथ घर के अंदर रहती हैं, जबकि पुरुष रात में अपने इलाकों में पहरा देने को मजबूर हैं। कुछ परिवारों ने तो अपने बच्चों को दूसरे शहरों में अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है।
भेड़ियों का आतंक कब से शुरू हुआ?
खूंखार जानवरों का पहला हमला इसी साल मार्च की शुरुआत में हुआ था और तब से यह जारी है। शुरुआत में इन भेड़ियों ने जिले के हरदी थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत औराही में उत्पात मचाया था। हालांकि, जुलाई के बाद हमलों की संख्या बढ़ गई है। ये भेड़िये आतंक फैलाने के लिए एक खास पैटर्न अपनाते हैं, अक्सर घरों में सो रहे बच्चों को निशाना बनाते हैं। जिला वन अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज में छह भेड़ियों का एक झुंड देखा है।
अब क्यों बढ़ गए हमले?
वन विभाग ने 3 अगस्त को एक मादा भेड़िया को पकड़ा था, जिसकी वन प्रभाग लाते समय मौत हो गई। इसके बाद भेड़ियों के हमले तेजी से बढ़े। वहीं इसके बाद 8 अगस्त को एक नर और 18 को एक मादा भेड़िया को भी वन विभाग ने पकड़ा, लेकिन हमलों में कोई कमी नहीं आई। हमले बढ़ते ही गए। इसके बाद ग्रामीण झुंड की मुखिया के मौत के बाद बदला स्वरूप हमला करने की भी बात कह रहे हैं।
इस बीच, वन्य जीव प्रभाग के सेवानिवृत्त डीएफओ ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि भेड़िया काफी चालाक और बदले की भावना वाला जानवर है। नदी के कछार में मांद बनाकर स्थानीय जंतुओं का शिकार करता है। मनुष्यों पर बहुत की कम हमले करता है, लेकिन इसमें बदले की प्रबल भावना होती है। उन्होंने बताया कि इनके बच्चे को मारने पर कुनबे का मादा या नर मुखिया उग्र होकर हमले करता है। हरदी में भी हो सकता है किसी ने इनके बच्चे को छति पहुंचाई हो, जिसके बाद से सभी बदले की भावना से हमले कर रहे हों।
इस समय महसी इलाके में आदमखोर भेड़िए सक्रिय हैं। इसी इलाके में जनवरी महीने में एक खेत में ट्रैक्टर से जुताई के दौरान भेड़ियों के दो शावकों की मौत हो गई थी। इस खेत में भेड़िया मांद बनाए थे। इसके बाद से ही भेड़िये हमलावर हुए।
इससे कितना नुकसान हुआ है?
महसी इलाके के गांवों में दहशत का आलम यह है कि किसान छुट्टा मवेशियों से फसल रखवाली के लिए खेत नहीं जा रहे। इससे उनकी फसल मवेशी चट कर रहे हैं। वहीं नौनिहालों की पढ़ाई भी बाधित है। भेड़ियों के डर से अधिकतर अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं।
भेड़ियों को पकड़ने के लिए प्रशासन क्या कर रहा है?
बीते डेढ़ महीने से 32 राजस्व टीम, 200 से अधिक पुलिसकर्मी, मंडलीय समेत 16 वन विभाग टीमें भेड़ियों को काबू करने के लिए मशक्क्त कर रही हैं। इन्हें पकड़ने के लिए ऑपरेशन भेड़िया चलाया जा रहा है जिसकी मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि ऑपरेशन भेड़िया के तहत वन विभाग की 16 टीमें क्षेत्र में तैनात की गई हैं। इस अभियान के तहत ड्रोन कैमरों, इन्फ्रारेड कैमरों और थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से भेड़ियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। भेड़ियों को बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए जाल के साथ पिंजरा भी लगाया गया है।
गुरुवार की सुबह एक नरभक्षी भेड़िया पकड़ा गया। वन विभाग की टीम ने पिंजरा लगाकर उसे पकड़ा। नदी के किनारे वन विभाग ने इसे कैद किया लेकिन अभी दो नरभक्षी भेड़िए मिलने बाकी हैं। इससे पहले वन विभाग की टीम तीन भेड़ियों को पकड़ चुकी थी।
उधर ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि जिन घरों में दरवाजे नहीं हैं, वहां दरवाजे लगवाए जा रहे हैं। इसके लिए सीएसआर समेत अन्य फंड से पैसा दिया जा रहा है। गांवों में रात्रि गश्त किया जा रहा है। आमजन व महिलाओं को भी जागरूक किया जा रहा है। प्रभावित गांवों में जिन घरों में शौचालय नहीं है, वहां शौचालय की व्यवस्था कराई जा रही है। गांवों में प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर लाइट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि गांवों में पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात है। गांव में पीएसी भी लगाई जा रही है। उम्मीद है कि जल्द बचे भेड़ियों को पकड़ लिया जाएगा।
भेड़िया के हमले पर विपक्ष का क्या कहना है?
भेड़ियों के हमले को लेकर सपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा और महसी विधायक पर तंज कसे। अखिलेश यादव ने सोमवार को पोस्ट किया कि उत्तर प्रदेश की तराई में चाहे बहराइच हो, पीलीभीत, श्रावस्ती, लखीमपुर खीरी या अन्य कोई जगह, सब जगह से जंगली जानवरों के आदमखोर होने की खबरें आ रही हैं। प्रदेशवासियों के हताहत होने के दुखद समाचार मिल रहे हैं। ऐसे हादसे दो तरह से भाजपा सरकार की नाकामी को दर्शाते हैं। एक तरफ भाजपा राज में जंगलों की अवैध कटाई से पशुओं के निवास स्थान घट रहे हैं, जिससे उनके जीवन-चक्र में भोजन की कमी हो रही है। भाजपा के विधायक जी दिखावटी सहानुभूति का प्रदर्शन करने के लिए हाथ मे बंदूक लेकर आदमखोर पशु के पग चिह्नों को तलाशने का काम करने का वीडियो बनवाकर, सोशल मीडिया पर अपने झूठे जन-सरोकार को दर्शा रहे हैं। उन्हें अपनी ही सरकार के न मंत्रालयों पर भरोसा है, न विभागों पर। भाजपा विधायक से आग्रह है कि किसी की मृत्यु पर ऐसे असंवेदनशील तरीके से पेश न आएं, ठोस उपाय करें, जिससे जनता का अनमोल जीवन बचाया जा सके।
तेंदुओं ने भी फैला रखी है दहशत
बहराइच जिले में भेड़िया ही नहीं तेंदुआ भी आतंक का पर्याय बना हुआ है। जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में 19 जनवरी अयोध्यापुरवा निवासी आयशा (11), एक मई को जलिहा में शमा (8), 13 जून धर्मापुर में शाहिद (6) व 12 जुलाई को मनोहरपुरवा में अरविंद कुमार (13) को तेंदुओं ने मारा था। वहीं, इस दौरान तेंदुओं ने अंजलि (8), अर्जुन (7), अयान (4), सलमान (3), रंजना (10), संकटा (55) आदि समेत 17 को घायल किया है।

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