पीएम स्वनिधि योजना महाघोटाला, निगम के कारिंदों की करामात पर बड़ा खुलासा
ग्वालियर मध्य प्रदेश: देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी अक्सर यह कहते सुने जाते हैं कि देश में भ्रष्टाचार खत्म हो चुका है हर योजना में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। लेकिन उन्हें क्या मालूम कि हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार के ऐसी दीमक बैठी हैं जो उनके नाम पर चल रही योजनाओं को चट करने में भी गुरेज न करे। और तो और जिस भाजपा की अगुवाई माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं उसके नेताओं की मिलीभगत भी इस तरह के भ्रष्टाचार के कारनामों में देखने को मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से चल रही पीएम स्वनिधि योजना जो गरीब पथ विक्रेताओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोन दिए जाने लिए बनाई गई थी, उसी महत्वाकांक्षी योजना में ग्वालियर नगर निगम में बंदरबांट का खेल चल रहा है।
नगरीय प्रशासन प्रशासन एवं विकास संचनालय के आयुक्त भरत यादव ने 23 जनवरी, 2024 को एक पत्र जारी किया था जो पीएम स्वनिधि योजना अंतर्गत नवीन आदेश आवेदन पर प्रोत्साहन योजना की अवधि के संबंध में था। इस पत्र में बताया गया था के योजना के माध्यम से ऋण आवेदनों। को पोर्टल के माध्यम से बैंकों में जमा करने कि अंतिम तिथि 31 दिसंबर दिसंबर 2023 थी। जिसको बढ़ाकर 31 मार्च मार्च 2024 गया है। इस आदेश की मानें तो 31 मार्च, 2024 के बाद पीएम निधि योजना के अंतर्गत पथ विक्रेताओं के लोन आवेदन स्वीकृत नहीं होना चाहिए। लेकिन हमारे पास ऐसे पुख्ता सबूत है जिसमें यह तिथि निकल जाने के बाद भी नगर निगम के जिम्मेदार कर्मचारियों ने पोर्टल पर तमाम पथ विक्रेताओं के लोन आवेदन चढ़ा दिए। और यह खेल पिछले कई महीनों से चल रहा है। और हमारे पास प्रमाण है कि 9 सितंबर, 2024 यानी अभी हाल तक यह कारनामा नगर निगम के जिम्मेदार कर रहे हैं। यहां बड़ा गड़बड़ झाला यह है की योजना की। तिथि निकल जाने के बाद भी नगर निगम के पोर्टल पर आवेदन अपलोड तो किए ही जा रहे हैं, साथ में बैंक भी इन आवेदनों पर लोन दे रही है। यह इस बात की ओर इशारा करता है की पीएम स्वनिधि योजना के गड़बड़ झाला के पीछे एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। जिसमें नगर निगम कर्मचारी बैंक अधिकारी और तमाम दलाल संलिप्त हो सकते हैं।
नगरीय प्रशासन एवं विकास संचनालय ने अपने पत्र में नवीन्द्र आवेदन की जो शर्तें दी हैं उसमें आवेदन पीएम एस। पोर्टल पर प्रथम चरण में ऋण अथवा LoR की श्रेणी के अंतर्गत होना चाहिए। पथ विक्रेता द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाला नवीन आवेदन योजना प्रभारी होने की तारीख़। या उसके बाद की तारीख का होना चाहिए । आवेदन पोर्टल पर संशोधित प्रारूप में भरा जाना चाहिए जिसमें नगरीय निकायों के पथ विक्रेता की आवेदन जमा करने में सहायता कर रहे। उप उपयोगकर्ता का विवरण भी सम्मिलित होना चाहिए। नगरीय निकाय द्वारा उपयोगकर्ता का पंजीयन पोर्टल पर किया जाना चाहिए। साथ ही इस पत्र में भुगतान के लिए भी कुछ शर्तें निर्धारित हैं। प्रथम चरण के अथवा एलोअर के सफलतम आवेदन जमा करने पर कुल प्रोत्साहन दे राशि रुपये 200 मात्र होगी। लेकिन यह सब कागजों पर लिखा है और हकीकत में जो। कुछ हो रहा है। वह चौंकाने वाला है और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम पर चल रही पीएम स्व निधि योजना को पलीता लगाने वाला है।
सूत्रों से जानकारी मिली है। के ग्वालियर नगर निगम में पीएम निधि योजना की सिटी मिशन मैनेजर संदीप राजपूत हैं और उन्हें ही इस योजना के पोर्टल का पासवर्ड और आईडी प्रदान किया गया है। और नियम अनुसार इस पोर्टल का प्रयोग करने का अधिकार केवल इन्हीं के पास है। लेकिन सूत्र बताते हैं की इन जिम्मेदार अधिकारी ने अपना आईडी पासवर्ड कुछ दलालों को भी दे रखा है। जो रिश्वत लेकर अपात्र हितग्राहियों के आवेदन भी पोर्टल पर अपलोड कर रहे हैं। इस मामले में यदि जांच की जाए। पोर्टल कब? कब? कहां कहां किस आईपी एड्रेस से खुला है उसकी जानकारी लेकर इस बात का खुलासा हो सकता है। सूत्रों की मानें तो आवेदन की तिथि निकलने के बाद भी अभी सितंबर तक पन्द्रह हजार से ऊपर आवेदनों को पोर्टल पर लोड किया गया है। इसमें सिटी मिशन मैनेजर नगर निगम के अन्य कर्मचारियों मिलीभगत से तमाम अयोग्य पथ विक्रेताओं को भी पीएम स्व निधि योजना में पात्र बताकर बंदरबांट की गई है। तमाम ऐसे आवेदक भी हैं जिनका कहीं कोई पथ विक्रेता का काम नहीं है। यहाँ बड़ा सवाल यह है ये नगर निगम कार्यालय में भ्रष्टाचार का इतना बड़ा खेल चल रहा है और वरिष्ठ अधिकारियों को पता तक न हो यह कैसे संभव है?