मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव चलेंगे साथ-साथ, नेताओं के लिए भीड़ नहीं जुटाएंगे कलेक्टर, सभी विभागों में एजेंडा प्रधानमंत्री का होगा
मध्यप्रदेश में गुड गवर्नेंस को लेकर आधुनिकता के साथ नई कार्य संस्कृति से राज्य को पुराने ढर्रों से बाहर किया जाएगा। मप्र में अब आने वाला 3 वर्ष चुनौती भरे कार्यकाल के रूप में नए मुख्य सचिव 1989 बैच के अनुराग जैन के सामने होगा ऐसा लिखा जाए तो आश्चर्यजनक कुछ भी नहीं होगा। प्रशासनिक सूत्रों का मानना है कि, मप्र में यह पहला अवसर होगा जब मप्र के मुख्यमंत्री और मप्र के मुख्य सचिव दोनों को मिलकर एकमात्र लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत संकल्प अभियान को पूरा करना होगा, मतलब हर कीमत पर मप्र में विकास के पहिए अब तेजी से रेल की दोनों पटरियों पर ही दौड़ेगी जिसमें पहली पटरी मुख्यमंत्री और दूसरी पटरी को संभालकर संचालित करने की जिम्मेदारी नए मुख्य सचिव अनुराग जैन की ही होगी। यदि ऐसा हुआ तो फिर मप्र में सबसे पहले वित्तीय अनुशासन लागू करने में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव दोनों को एकमत होना पड़ेगा। उदाहरण बतौर यूं कहा जाए कि कलेक्टर हो या मिनिस्टर, प्रमुख सचिव हो या अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभाग एक हो या चार सबके पास कार और ड्रायवर अब अधिक से अधिक 2 होगा। जबकि वर्तमान में मंत्रियों के पास जितने विभाग उससे डबल कारें अतिरिक्त मुख्य सचिवों के पास, एक बंगला और 5-5 कारों का काफिला अब नहीं होगा। और इस तरह के वित्तीय अनुशासन का पाठ संभागों में आयुक्त, एडीजी, आईजी, जिलों में कलेक्टर, एसपी सबके लिए लागू किया जाएगा। और तो और जिले के कलेक्टर अब राहत महसूस कर सकते हैं क्योंकि अनुराग जैन मप्र के कलेक्टर से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त विभाग में अपनी लंबी सेवाएं दे चुके हैं और वे अब किसी भी कलेक्टर संस्थान को नेताओं के लिए भीड़ जुटाने हेतु न तो इजाजत देंगे और न ही कोई इस मद में वित्तीय प्रावधान किया जाएगा। बता दें कि, अनुराग जैन केन्द्र में प्रधानमंत्री से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग के सचिव रहने के बावजूद भी अपने पास एक कार और एक ड्रायवर के साथ गुड गवर्नेंस तथा डिलेवरी सिस्टम को लागू कर चुके हैं। इसलिए यह लिखा जाना भी गलत नहीं होगा कि मप्र के खजाने का जिसमें 9 करोड़ जनता की गाढ़ी कमाई का धन जमा रहता है उसमें से किसी को फिजूल खर्च करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसी अवधारणा के चलते अब नौकरशाहों को या आला अफसरों को एक ड्रायवर और एक कार तथा सीमित पेट्रोल-डीजल के साथ सरकारी कामकाज पूरे करने होंगे। जहां तक सवाल है मप्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख से जुड़े मूलमंत्र भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के फार्मूले को लागू करने का मसला, तो यह मान लेने में हर्ज नहीं है कि, मप्र में सबसे पहली जरूरत धरातल पर बड़े- बड़े औद्योगिक घरानों की उपस्थिति ईमानदारी से दर्ज हो ताकि बेरोजगारी दूर करने में मप्र के मुख्यमंत्री को विजनरी प्रस्तावों के साथ पूंजी निवेश के अच्छे अवसरों को उपयोगी बनाया जाएगा। जिन विभागों में भ्रष्टाचार शिखर छुआ है और मप्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम हुआ है, इसके लिए चाहे व्यापम से भर्ती किए गए 45 परिवहन आरक्षकों की निरस्ती के बाद उसमें अवैधानिकता और भ्रष्टाचार की जांच अब नहीं रूकेगी। और तो और प्रधानमंत्री की नई शिक्षा नीति की समीक्षा अब हर हफ्ते हो तो चौंकिएगा मत। हालांकि केन्द्र सरकार में परिवहन मंत्रालय के सचिव के रूप में अनुराग जैन ने मप्र के परिवहन महकमे में अनुशासन हीनता और भ्र्रष्टाचार की शिकायतों को काफी करीब से देखा समझा हुआ है और इन्हीं के निर्देश पर परिवहन चैक पोस्टों पर 400 करोड़ से अधिक की ड्रायवरों से प्रतिमाह वसूली रोकी गई वरना, पूरे देश में मप्र का परिवहन चैक पोस्ट भ्रष्टाचार के लिए सर्वाधिक बदनाम अड्डा बन गया था। बता दें कि अब ये सारे परिवहन चैक पोस्ट केन्द्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की जिद्द के चलते बंद हो गए हैं और लाखों ड्रायवरों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन लंबे समय से परिवहन चैक पोस्टों पर डॉन के रूप में ख्यातिनाम 4-5 आरटीआई अभी भी पुरानी भ्रष्ट परंपरा को वापस लौटाने का दवाब बना रहे हैं हालांकि 17 वर्षों से जिन अधिकारियों के शह पर देश भर के ड्रायवरों को लूटा गया उनकी चल-अचल संपत्ति जांच के घेरे में तो है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि नए मुख्य सचिव अनुराग जैन मप्र में सबको जानते हैं कौन कितना ईमानदार है और कौन कितना बेईमान। इसलिए इस कड़वी खबर का लब्बोलुआब यह है कि समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ अनुराग जैन मुख्य सचिव के रूप में हर समय दिखाई देंगे और औद्योगिक क्रांति की दिशा में मप्र पिछड़ा हुआ है तो फिर उद्योग विभाग में शीर्ष स्तर पर यदि अचानक परिवर्तन हो जाए तो चौंकिएगा मत। और चौंकिएगा तब जब कोई भ्रष्ट नौकरशाह मुख्य सचिव से आंख मिचौली करते हुए अपनी बेईमान कार्यसंस्कृति को भी ईमानदार बताने में सफल हो जाए।