सरकार की कंपनी को डीएम ने दिया जोर का झटका, शहर को अंधेरे में रखने पर छीना काम
सुई से लेकर सब्बल तक का टैक्स जनता भरे और जब उसके ही पैसों से उसे सेवा देने की बारी आए तो उसमें भी कन्नी काट दी जाए। यह तो सरासर नाइंसाफी हुई। खासकर जनता के टैक्स से सरकार ने जो कंपनी (पीएसयू) खड़ी की हैं, वह भी अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं हैं। जिस सरकारी कंपनी एनर्जी एफिसिएशंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) को देहरादून नगर निगम में स्ट्रीट लाइटों के रखरखाव का जिम्मा दिया गया था, वह इस काम में गंभीर लापरवाही बरत रही है। कॉन्ट्रेक्ट शर्तों के मुताबिक कंपनी को खराब स्ट्रीट लाइटों को 48 घंटे के भीतर दुरुस्त करना चाहिए, जबकि इस काम में लंबा समय लगाया गया रहा है। ऐसे में शिकायतों का जो बैकलॉग 26 सितंबर तक 550 के करीब था, वह अब बढ़कर 3 से 4 हजार के बीच जा पहुंचा है।
जिलाधिकारी/प्रशासक नगर निगम सविन बंसल की चेतावनी के बाद भी जब कंपनी ने अपना ढर्रा नहीं सुधारा तो अब उसे बाहर का रस्ता दिखा दिया गया है। सीधे शब्दों से कहें तो कंपनी से काम छीन लिया गया है। हालांकि, फिलहाल शहर में नई लाइट लगाने का कार्य दिसंबर 2024 तक ईईएसएल के पास ही रहेगा। दूसरी तरफ ख़राब स्ट्रीट लाइटों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए नगर निगम ने स्वयं इसका जिम्मा संभाल लिया है। मंगलवार 08 अक्टूबर से निगम की 35 टीमें आवश्यक वाहनों के साथ रोस्टरवार वार्ड में जाकर स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करेंगी।
सुबह निगम में जमा होंगी टीम, हाजिरी के बाद होगी रवानगी
जिन टीमों को नगर निगम प्रशासक ने स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत आदि के कार्यों में लगाया है, वह सीधे फील्ड में रुख करने की जगह प्रतिदिन प्रातः नगर निगम में जमा होंगी। यहां सभी की हाजिरी ली जाएगी और फिर उन्हें फील्ड में रवाना किया जाएगा। यही क्रम कार्य समाप्ति के बाद शाम को भी नगर निगम परिसर में दोहराया जाएगा। ताकि प्रतिदिन किए गए कार्यों की प्रगति का भी तत्काल आकलन हो सके।
कंपनी की लगानी थी 50 टीम, धरातल पर 18 ही मिली
अनुबंध शर्तों के मुताबिक ईईएसएल को स्ट्रीट लाइटों के कार्यों के लिए 50 टीम फील्ड में उतारनी थी, जबकि शहर में सिर्फ 15 से 18 टीम ही सक्रिय मिली हैं। 48 घंटे के भीतर खराब लाइटों को दुरुस्त न करने की दशा में प्रति लाइट 50 रुपये पेनल्टी का भी प्रावधान है। इसका भी असर कंपनी पर नहीं पड़ा। वैसे वर्तमान तक कंपनी ने शहर में 01 लाख से अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई हैं, लेकिन खराब होने पर कंपनी आवश्यक तेजी नहीं दिखाती है।