एक दिन CM पद संभालना है, तीन साल पहले हो गया था आभास :मोहन
भले ही एक साल पहले मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम की घोषणा ने कइयों को चौंका दिया हो, मोहन यादव कहते हैं कि उनको तीन साल पहले ही इसका आभास हो गया था। उनके मंत्रिमंडल में मौजूद धाकड़ नेताओं से सामंजस्य के सवाल पर भी वे दिलचस्प जवाब देते हैं। एक अख़बार के डिजिटल से की बातचीत में मुख़्यमंत्रो ने यह कहा …
जब आपके नाम की पर्ची निकली, उस वक्त आपको पता था या नहीं?
बहुत पुरानी बात हो गई… उस दिन पता था ऐसा तो नहीं कह सकता, लेकिन मुझे तीन साल पहले भी पता था कि मुझे आज नहीं तो कल यहां आना है। यह आभास ही था। हमारे यहां पार्टी की ये विशेषता है कि जब हम काम करते हैं तो हमारे काम को देखने वाले बहुत अच्छे लोग हैं। वो गंभीर विचार वाले लोग होते हैं तो कार्यकर्ताओं की क्षमता-योग्यता देखते रहते हैं। मैं 25 वर्षों से नीचे से निकल आया हूं। मैं वेस्टर्न रेलवे बोर्ड मेंबर रहा। मैं दूरसंचार विभाग में रहा। जब आप शिक्षा मंत्री या मंत्री बनते हैं तो स्वाभाविक बात है कि आगे की नेमप्लेट ही तो हटना है। क्या बड़ी बात है। मंत्री की जगह मुख्यमंत्री रख दिया, उससे क्या फर्क पड़ता है। ऐसा मैं काम करने की अवस्था से बता रहा हूं। मेरे मन की अवस्था में नहीं है। मैं आपको प्रारब्ध और कर्मवाद का अच्छा उदाहरण देता हूं। कर्मवाद यह है कि हम काम कर रहे हैंं अच्छे से, लेकिन अगर वह आपके भाग्य में नहीं है तो वो नहीं हो सकता।
मंत्रिमंडल के ऐसे सहयोगियों के साथ काम करना, जो खुद भी मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे, कितना चुनौतीपूर्ण रहता है?
ये भाजपा की खासियत है। संघ में सरसंघचालक भी अगर शाखा में हैं तो वह भी शाखा चलाने को ही प्रणाम करते हैं। यह व्यवस्था का सवाल है। परिवार भाव के साथ जो कप्तान बन जाता है, टीम उसके साथ आगे बढ़ती है। क्रिकेट की भाषा में अगर धोनी को कप्तान बनाया गया तो सचिन ने उनके साथ क्रिकेट खेला। ये खेल भवना का परिचय है। मेरा काम कराने का तरीका यह है कि मैं अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को पूरा फ्री हैंड देता हूं, ताकि वे अच्छे से जनता के लिए काम कर सकें। मुख्यमंत्री का काम तो यही है।