कलेक्टर कार्यालय शिफ्ट नहीं होने देंगे: आलोक शर्मा, भोपाल की संस्कृति और परंपरा की रक्षा जरूरी, मुख्यमंत्री से करेंगे चर्चा
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कलेक्टर कार्यालय को पुराने शहर से स्थानांतरित करने की योजना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस योजना के विरोध में स्थानीय निवासी, व्यापारी संगठन और पर्यावरणविदों के साथ सांसद आलोक शर्मा भी शामिल हो गए हैं। सांसद शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह कलेक्टर और एसपी कार्यालय को पुराने भोपाल से शिफ्ट नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल पुराने भोपाल की पहचान को खत्म करेगा, बल्कि यहां के निवासियों और व्यापारियों के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। उनका मानना है कि पुराने भोपाल में ही बहुमंजिला भवन बनाकर कलेक्टर कार्यालय को आधुनिक स्वरूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। आलोक शर्मा ने बताया कि पुराने भोपाल से पहले ही नगर निगम और आरटीओ कार्यालयों को शिफ्ट किया जा चुका है, और अब कलेक्टर कार्यालय को स्थानांतरित करने की योजना क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचाएगी। स्थानीय निवासियों और व्यापारिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाते हुए मांग की है कि कलेक्टर और एसपी कार्यालय पुराने शहर में ही बनाए रखें, क्योंकि यह सरकारी व्यवस्था और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जानकारी के अनुसार, प्रोफेसर कॉलोनी में 13 एकड़ भूमि पर 412 करोड़ रुपये की लागत से नए कलेक्टर कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। इस सात मंजिला भवन के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण की आवश्यकता होगी। पर्यावरणविदों और अर्बन एक्सपट्र्स ने इस परियोजना का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह परियोजना छोटे तालाबों, जो कि विश्व धरोहर का हिस्सा हैं, को प्रदूषित कर सकती है। सिटीजन फोरम के बैनर तले एनजीटी में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें इस परियोजना पर रोक लगाने की मांग की गई है। पुराने भोपाल के निवासी और व्यापारी संगठनों का कहना है कि पुराना भोपाल उनकी शान और पहचान है। यदि सरकारी कार्यालयों को स्थानांतरित किया गया, तो क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक सुविधाएं प्रभावित होंगी। इसके अलावा, सांसद आलोक शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को अनदेखा करना उचित नहीं है। उन्होंने छोटे तालाबों पर प्रदूषण के खतरे को लेकर भी चिंता जताई, जो भोपाल की पर्यावरणीय धरोहर का अहम हिस्सा हैं। इस खबर का लब्बोलुआब यह है कि कलेक्टर – एसपी कार्यालय शिफ्टिंग का मुद्दा अब सामाजिक और राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गया है। जनता और पर्यावरणविदों को अब सांसद आलोक शर्मा का साथ मिल गया है। माना जा रहा है कि सांसद की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए तो चौंकिएगा मत, लेकिन चौंकिएगा तब जब सांसद आलोक शर्मा के सुझाव अनुसार पुराने भोपाल में ही बहुमंजिला भवन बनाकर कलेक्टर कार्यालय को आधुनिक स्वरूप दे दिया जाए।