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चंबल नदी में सीएम यादव ने 10 घड़ियालों को छोड़ा, बोले- चंबल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश वन्य जीव पर्यटन का एक वैश्विक केंद्र बनकर उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मुरैना क्षेत्र में पर्यटन को विकसित करने के लिए सरकार संकल्पित है। मुख्यमंत्री ने माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व का दर्जा दिलाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि प्रदेश के वनों में सभी प्रकार के वन्य जीवों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम है और इस दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं।चंबल नदी में 10 घड़ियालों का पुनर्वास
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुरैना स्थित देवरी घड़ियाल केंद्र से चंबल नदी में 10 घड़ियालों (9 मादा और 1 नर) को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ने के पश्चात मीडिया से चर्चा की। इस अवसर पर उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा सहित वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल अभयारण्य हमारे देश की प्राकृतिक संपदा है, जहां दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण इन प्रजातियों को नुकसान हो रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश जैव विविधता के संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहा है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य का भ्रमण कर वहां की व्यवस्थाओं और पर्यटकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया।

चंबल  में डॉल्फिन पुनर्वास की संभावना
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में वन्य जीव पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। चंबल क्षेत्र सहित संपूर्ण प्रदेश में वन्य जीव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। चंबल अभयारण्य में घड़ियालों के साथ-साथ डॉल्फिन के पुनर्वास की भी प्रबल संभावना है, जिस पर वन विभाग कार्य कर रहा है।

घड़ियाल संरक्षण की वैज्ञानिक प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों एवं अभयारण्य कर्मचारियों से घड़ियालों के पालन-पोषण और संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं। अधिकारियों ने बताया कि चंबल नदी में छोड़े गए घड़ियालों को वर्ष 2022 में अंडों के रूप में संरक्षित किया गया था। कृत्रिम तापमान देकर इनके लिंग का निर्धारण किया गया और समुचित देखभाल के बाद इन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया।

चंबल नदी: विश्व का सबसे बड़ा घड़ियाल आवास
भारत ही नहीं, पूरे विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं। दुनियाभर में करीब 3,000 घड़ियाल हैं, जिनमें से 85% सिर्फ चंबल नदी में हैं। वर्ष 1978 में चंबल नदी क्षेत्र को वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 1981 से “घड़ियाल ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम” के तहत चंबल नदी में घड़ियाल पुनर्वास कार्य किया जा रहा है।

2024 की गणना में 2456 घड़ियाल दर्ज
मुरैना वन विभाग के अनुसार, चंबल अभयारण्य में हर वर्ष फरवरी में जलीय जीवों का सर्वेक्षण किया जाता है। वर्ष 2024 की गणना के अनुसार, चंबल अभयारण्य में कुल 2,456 घड़ियाल पाए गए थे। देवरी पुनर्वास केंद्र में विभिन्न बैच के 288 घड़ियाल संरक्षित हैं। इस वर्ष वन विभाग को कुल 108 घड़ियाल चंबल नदी में छोड़ने की अनुमति प्राप्त हुई है, जिनमें से 98 घड़ियाल अब तक छोड़े जा चुके हैं।

चंबल बोट सफारी: पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण
वन्य जीव पर्यटन के शौकीन पर्यटकों के लिए चंबल बोट सफारी की विशेष व्यवस्था की गई है, जो अब काफी लोकप्रिय हो गई है। इससे पर्यटकों को घड़ियालों और अन्य जलीय जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलता है। सरकार की यह पहल न केवल वन्य जीव संरक्षण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि पर्यटन को भी एक नई दिशा प्रदान कर रही है।

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