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पर्यावरण स्वीकृति का अधिकार प्रमुख सचिव के पास नहीं था माना, फिर भी 237 परियोजनाओं में नवनीत कोठारी ने EC का अनुमोदन कर दिया किस लिए

मध्यप्रदेश में SEIAA के अध्यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान के द्वारा उठाए गए सभी कानूनी मुद्दों को जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत आता है, मप्र में पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत कोठारी ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। सूत्रों के अनुसार मप्र में SEIAA वह संस्था है जिसे पर्यावरण संरक्षण करने के लिए न्यायिक संस्था के रूप में स्थापित किया गया है और इनके अधिकारों का उपयोग राज्य शासन के अंतर्गत प्रमुख सचिव से लेकर किसी भी बड़े से बड़े नौकरशाह को प्र्र्राप्त नहीं है। लेकिन जब एक अप्रैल 2025 से लेकर 16 जून 2025 तक SEIAA के अध्यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को 36 बार पत्र लिखकर आगाह किया कि, SEIAA के सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी द्वारा विधिवत प्रावधान के अंतर्गत बैठकें नहीं कराई जाती और मनमर्जी से अनियमितता करते हुए भारी भ्रष्टाचार के साथ SEIAA को बदनाम किया जा रहा है तब भी जब विधिवत बैठकें नहीं हुई और उन्होंने भारत सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर SEIAA के सचिव की गैर कानूनी कार्यशैली की शिकायत की तो कोहराम मच गया। सूत्रों का कहना है कि, मुख्य सचिव ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसी के चलते लगभग 700 परियोजना एवं इकाइयों के EC नहीं होने के कारण सरकार की छवि खराब होने की परवाह किए बिना प्रमुख सचिव कोठारी ने EC के सचिव को निर्देश देकर विधिवत बैठकें 45 दिनों के अंदर नहीं कराए जाने के कारण उसे डीम्ड परमिशन मानकर अनुमोदित कर दिया, जो कि, सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के सभी कानूनी मापदंडों के संपूर्ण रूप से खिलाफ है। माना यदि प्रमुख सचिव ने मुख्य सचिव को यह बताकर कि 45 दिन के अंदर बैठकें नहीं होने की स्थिति में शासन निर्णय ले सकता है ऐसा प्रावधान है तो फिर 407 लंबित बैठकों के लिए आए EC की मंजूरी के लिए प्रस्तावों में सिर्फ 237 को ही EC जारी क्यों की गई। सूत्रों का कहना है कि, यदि शासन जारी कर सकता था तो सभी प्रकरणों में बिना बैठक के डीम्ड परमिशन के आधार पर EC जारी होने चाहिए थे लेकिन छांट- छांट कर जितनी EC जारी की गई है उससे भ्रष्टाचार का खुलासा और सरकार को बदनाम करने की साजिश का भी पर्दाफाश हो गया है। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, प्रमुख सचिव नवनीत कोठारी ने इस मामले में मुख्य सचिव को भी विवादित कर दिया है, इसलिए निजात पाने का रास्ता केवल एक ही है कि, बिना बैठकों के जारी किए गए अवैध रूप से EC तुरंत निरस्त किए जाएं और पुन: सभी प्रकरणों मेंं प्रतिदिन 25-50 प्रकरणों पर निर्णय लेते हुए विधिवत बैठकों के आधार पर पर्यावरण स्वीकृतियां जारी की जाएंगी तभी गैर कानूनी ढंग से लिए गए फैसलों को लेकर SEIAA और सरकार के बीच में जंग की स्थिति समाप्त हो पाएगी, ऐसा माना जाए तो चौंकिएगा मत, चौंकिएगा तब जब इस तरह की गैर जिम्मेदारी और गैर कानूनी ढंग से लिए गए फैसले का फायदा उठाकर रामगंज मंडी से भोपाल रेलवे लाइन श्यामपुर के आसपास रेलवे ट्रेक पर ठेकेदार बिना पर्यावरण की स्वीकृति के 100 करोड़ से अधिक का ठेका संचालित कर रहा है, ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ SEIAA एफआईआर करने पर उतारू हो जाए…।

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