अक्षय नवमी की रात अपनाएं आंवले के ये उपाय, खुल जाएंगे धन और समृद्धि के द्वार
हिंदू धर्म में हर त्योहार का कोई न कोई आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है, लेकिन अक्षय नवमी का स्थान विशेष है। यह दिन न केवल भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि इसे आंवला नवमी (Akshaya Navami) भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है।
‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है जो कभी समाप्त न हो। यानी इस दिन किए गए दान, पूजन और उपायों का फल कभी नष्ट नहीं होता। माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से आंवले की पूजा करता है और उससे जुड़े उपाय करता है, उसके घर में मां लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं। इस साल अक्षय नवमी 31 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाई जा रही है
क्यों कहा जाता है अक्षय नवमी को आंवला नवमी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को आंवला अत्यंत प्रिय है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि स्वयं लक्ष्मी माता आंवले के पेड़ में निवास करती हैं। इसलिए इस दिन जब भक्त आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं, तो वे वास्तव में विष्णु और लक्ष्मी दोनों की आराधना करते हैं।
कहते हैं कि इस दिन जो व्यक्ति आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाता है या आंवले से जुड़ी कोई भी पूजा करता है, उसके जीवन से आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और घर में धन का स्थायी प्रवाह शुरू होता है।
आंवले के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का महत्व
अक्षय नवमी की शाम को जब सूरज ढलने लगता है, तब आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने का विशेष विधान है। ऐसा माना जाता है कि दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अगर आपके घर के पास आंवले का पेड़ नहीं है, तो गमले में लगाए गए आंवले के पौधे या फिर भगवान विष्णु के मंदिर में भी दीपक जलाया जा सकता है। यह साधारण-सा उपाय धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य तीनों देने वाला माना गया है।
आध्यात्मिक दृष्टि से दीपक जलाना ब्रह्मांड में सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय करने का प्रतीक है। जब यह आंवले के पेड़ के नीचे किया जाता है, तो इसका प्रभाव और भी प्रबल होता है क्योंकि यह पेड़ स्वयं लक्ष्मी का निवास स्थल माना गया है।
आंवला और लाल धागा
अक्षय नवमी की रात को एक आंवले को लेकर उस पर लाल रंग का धागा या कलावा सात बार लपेटें। इसके बाद इसे अपने धन रखने के स्थान जैसे तिजोरी या अलमारी में चुपचाप रख दें। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रिय फल है और लाल रंग शुभता, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है। जब इन दोनों का संयोजन होता है, तो व्यक्ति के जीवन से धन से जुड़ी रुकावटें दूर होती हैं। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो लंबे समय से कर्ज या आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। माना जाता है कि यह उपाय घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाता है और धन के स्थायी आगमन का मार्ग खोलता है।
आंवले का दान क्यों है अक्षय फलदायी?
अक्षय नवमी का नाम ही बताता है, जो कभी खत्म न हो। इसलिए इस दिन किया गया दान जीवनभर फल देता है। अगर आप गरीब, जरूरतमंद या ब्राह्मणों को आंवला या आंवले से बने व्यंजन जैसे मुरब्बा, चटनी, आंवला कैंडी आदि का दान करते हैं, तो आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, आंवले का दान करने से व्यक्ति के सभी पाप क्षीण हो जाते हैं और मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में स्थायी वास करती हैं। यह उपाय उन लोगों के लिए भी शुभ माना गया है जो बार-बार आर्थिक नुकसान या अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाने से होते हैं चमत्कारिक लाभ
स्वास्थ्य, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति
अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाना अत्यंत शुभ होता है। पूजा पूरी होने के बाद इस आंवले को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह न केवल धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है, क्योंकि आंवला विटामिन C का सर्वोत्तम स्रोत है। माना जाता है कि इस उपाय से व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है, मन में सकारात्मकता आती है और घर में धन-वैभव का प्रवाह बढ़ता है। इसके अलावा, अगर आप इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते हैं, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
आंवले से जुड़े वास्तु और ज्योतिषीय उपाय
आंवले का पौधा घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना सबसे शुभ माना गया है। अगर घर में नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है तो रोज सुबह आंवले के पेड़ पर जल चढ़ाएं। हर गुरुवार को आंवले के पेड़ की जड़ में कुमकुम या हल्दी डालने से गुरु ग्रह मजबूत होता है और घर में स्थायी धन का वास होता है। आंवले से बने व्यंजन नियमित रूप से खाने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं, जिससे आर्थिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य?
ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि अक्षय नवमी के दिन किया गया आंवला पूजन, दीपदान और दान व्यक्ति के पुण्य और भाग्य दोनों को बढ़ाता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष है जिनकी कुंडली में शुक्र या चंद्रमा कमजोर हैं।
आंवले की पूजा से इन ग्रहों का दोष दूर होता है और जीवन में शांति, प्रेम और स्थिरता आती है। यह दिन धन हानि, कर्ज या आर्थिक अस्थिरता झेल रहे लोगों के लिए वरदान माना गया है।
