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इजरायल में 2 साल में चौथी बार चुनाव:प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी बहुमत से दूर, सियासी संकट के बीच 5वीं बार चुनाव की संभावना बढ़ी

इजरायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। यहां पिछले 2 साल में 4 बार चुनाव होने के बाद भी राजनीतिक गतिरोध बना हुआ है। मंगलवार को हुए संसदीय चुनाव के बाद बुधवार को लगभग 90% मतों की गिनती हो चुकी है, लेकिन किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में 5वीं बार चुनाव की संभावना बढ़ गई है।

नेतन्याहू बहुमत से 31 सीट दूर
इजरायली संसद में 120 सीटें हैं। बहुमत के लिए यहां 61 का आंकड़ा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को 30 सीटें मिली हैं। 71 साल के नेतन्याहू के नेतृत्व वाला दक्षिणपंथी गठबंधन जादुई आंकड़े से काफी पीछे है। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी याईर लपिड के नेतृत्व वाली यश अटिड पार्टी को 17 सीटें मिली हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिणपंथी यमीना पार्टी नेतन्याहू के गठबंधन में शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो नेतन्याहू के गठबंधन को बहुमत के लिए सिर्फ 2 सीटों की और जरूरत पड़ेगी। उधर, यूनाइटेड अरब लिस्ट पार्टी के लीडर मंसूर अब्बास ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

4 चुनावों में इस बार सबसे कम मतदान
इजरायल में इस बार कुल 67.2 फीसद मतदान हुआ है। यह 4 चुनावों में सबसे कम है। पिछली बार 71.5 फीसद वोट पड़े थे। कुछ विशेषज्ञों ने कम मतदान की वजह बार-बार होने वाले चुनावों को माना है। वहीं, कुछ ने सप्ताह के आखिर में पड़ने वाले त्योहार को बड़ा कारण बताया है। मंगलवार शाम को आए एक्जिट पोल में भी किसी को बहुमत नहीं मिलने की बात कही गई थी।

इजरायल में चुनावी सर्वेक्षण इस बात की ओर इशारा किया गया था कि चुनाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्‍याहू की पार्टी बहुमत से दूर रहेगी। इस सर्वे में कहा गया था कि सत्‍ता हासिल करने के लिए नेतन्‍याहू की पार्टी को छोटे दलों के भरोसे रहना होगा। छोटे दल इस बार सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

अप्रैल 2019 ने लगातार चुनाव हो रहे हैं
इजरायल की संसद को लेकर लगातार अप्रैल 2019 से चुनाव होते रहे हैं। इसमें 2 बार चुनाव जीते राजनीतिक दलों का गठबंधन स्थायी सरकार चलाने में नाकाम रहा है। इससे पहले यहां मार्च 2020 में आखिरी चुनाव हुआ था। इस चुनाव में सरकार तो बन गई, लेकिन 6 महीने से ज्यादा ये टिक नहीं सकी।

बीते मंगलवार को स्पूतनिक से बात करते हुए न्यू होप सेंटर राइट पार्टी के उम्मीदवार रोन मोरियो के अनुसार, जल्द ही 5वी बार चुनाव हो सकता है, क्योंकि एक स्थिर सरकार बनने की उम्मीद इस बार भी कम है।

3 महीने पहले गिर गई थी नेतन्याहू की सरकार
3 महीने पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिर गई थी। इसके बाद यह तय हो गया था कि देश में अगले साल फिर से चुनाव होंगे। नेतन्याहू की लिकुड और रक्षा मंत्री बेनी गेंत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी ने मई में गठबंधन सरकार बनाई थी, क्योंकि उस चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।

नेतन्याहू की सरकार पर संकट पर उस समय मंडराने लगा था, जब गठबंधन नेता गेंत्ज ने प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि नेतन्याहू देश से ज्यादा फोकस अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने में कर रहे हैं।

सरकार गिरना तो तय था
7 महीने पहले जब नेतन्याहू और गेंत्ज ने गठबंधन सरकार का फैसला किया था, तभी कयास लगने लगे थे कि यह सरकार कितने दिन चलेगी। खुद गेंत्ज ने इसे ‘इमरजेंसी अलायंस’ बताया था। मई में दोनों दलों ने एक कॉमन प्रोग्राम के जरिए सरकार बनाने पर सहमति जताई थी। एक डील भी हुई थी। इसके तहत नेतन्याहू पहले 18 महीने प्रधानमंत्री रहेंगे। अगले 18 महीने गेंत्ज PM होंगे। सरकार बनने के बाद से ही दोनों पार्टियों के कई बार मतभेद सामने आ चुके थे।

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