कल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, शुभ संयाेग सर्वार्थ सिद्धि प्रीति योग में होगी पूजा
हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व का विशेष महत्व है। इसे हर्ष उल्लास और अपने सभी सपनों को पूर्ण करने के साथ माता आदिशक्ति की कृपा पाने का पर्व माना जाता है। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ. पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि इसी दिन विश्व के सबसे प्राचीन और गौरवशाली हिन्दू धर्म का नया संवत्सर 2078 भी शुरू होगा, जो कि आनंद संवत्सर के नाम से जाना जवेगा इस नव वर्ष का राजा मंगल और मंत्री भी मंगल रहेगा।
चैत्र नव रात्रि घट स्थापना मूहर्त: चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल पक्ष मंगल वार को घट स्थापना का शुभ मूहर्त प्रात: 5.28 मिनिट से सुबह 10.56 तक रहेगा। घट स्थापना का शुभ मूहर्त है दिन में 10.56 से 12.56 तक लाभ, अमृत एवम अभिजीत मूहर्त रहेंगे। चैत्र नवरात्रि में रामनवमी तक रामरक्षास्त्रोत , रामचरित मानस, वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड, हवन आदि के अनुष्ठान की परंपरा रही है। सभी प्रकार की सिद्धियों के लिए माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप भी किया जाता है। मान्यता अनुसार कि रामरक्षास्त्रोत के पाठ की शुरूआत नवरात्रि से ही की जानी चाहिए, स्वयं भगवान श्रीराम ने भी रावण से युद्ध के पूर्व मां दुर्गा को प्रसन्न कर उनसे शक्ति मांगी थी।
नवरात्रि पर रामरक्षास्त्रोत शुरू करने का अपना ही महत्व है, इस दौरान इस स्त्रोत का लगातार पाठ करने से माना जाता है कि सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति नवरात्रि में राम रक्षा स्त्रोत का पाठ शुरू करते हैं,उन्हें मां दुर्गा और श्रीराम की विशेष कृपा प्राप्त होती है।