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वाटर सेंक्चुरी से करेंगे पानी की कमी काे दूर,जानिए कौन से 12 हिमालयन राज्यों को होगा फायदा

देश के 12 हिमालयी राज्यों में जल संरक्षण के लिए सौ जल अभयारण्य (वाटर सेंक्चुरी) बनाए जाएंगी। नेशनल मिशन फॉर हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस) कोसी कटारमल अल्मोड़ा की ओर से इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। हिमालयी राज्यों में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत उत्तराखंड और हिमाचल में है। उत्तराखंड में 95 में से 78 ब्लॉक पानी की कमी से जूझ रहे हैं। एनएमएचएस की ओर से जल संरक्षण के लिए देश भर में जल अभयारण्य बनाने की योजना शुरू की गई है। जिसके तहत 12 हिमालयी राज्यों में सौ जल अभयारण्य बनाए जाने हैं। इसमें हर राज्य में पांच से लेकर दस अभयारण्य बनाए जाने हैं। संस्थान की ओर से केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव भी भेजा गया है। केंद्र से मंजूरी के बाद जगह की उपलब्धता और जरूरत के हिसाब से ये स्थापित किए जाएंगे।

285 ब्लॉक जूझ रहे जल संकट से : संस्थान की ओर से जल संकट के लिए इन राज्यों में एक सर्वे किया गया था। जिसमें इन 12 राज्यों में 285 ब्लॉक चिन्हित किए गए। जिनमें से सबसे ज्यादा अकेले उत्तराखंड के 78 ब्लॉक शामिल हैं। जिनमें सबसे ज्यादा दिक्कत पौड़ी, चंपावत और अल्मोड़ा में है। वहीं हिमाचल प्रदेश में  77 में से 54 ब्लॉक  और अरुणाचल प्रदेश  में 31 ब्लाक में पानी की बेहद  कमी है।

क्या हैं जल अभयारण्य
जिस तरह से वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी या अभयारण्य बनाए जाते हैं, उसी तरह जल संरक्षण के लिए जल अभयारण्य बनाए जाएंगे। यानी जिन इलाकों में ये अभयारण्य बनेंगे वहां कुछ खास तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसके अलावा वहां पानी का अवैज्ञानिक दोहन नहीं हो सकेगा।

इन राज्यों में होगा काम
जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, असम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल।

बारह हिमालयी राज्यों में सौ जल अभ्यारणय बनाने की योजना है। सबसे ज्यादा दिक्कत उत्तराखंड में है। इसी कारण सबसे ज्यादा अभयारण्य उत्तराखंड में ही बनाए जाएंगे। अभी केंद्र से मंजूरी का इंतजार है।
किरीट कुमार, इंजीनियर व नोडल अफसर एनएमएचएस जीबी पंत इंस्टीट्यूट अल्मोड़ा

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