गोल्ड हॉलमार्किंग 15 जून से अनिवार्य, लेकिन नियमों को लेकर निर्यातक उलझन में
गोल्ड हॉलमार्मिंग के नियमों में कनफ्यूजन की स्थिति बनती दिख रही है. गोल्ड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल यानी GJEPC ने गोल्ड हॉलमार्किंग से जुड़े कुछ मुददों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. केंद्र ने सोमवार को गोल्ड आभूषणों और कलाकृतियों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की समय सीमा 15 दिन और बढ़ा कर 15 जून कर दिया है. इसके बाद गोल्ड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने सरकार से इससे जुड़े कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है.
काउंसिल ने कहा, सरकार नियम स्पष्ट करे
काउंसिल ने कहा है कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जो सर्राफा कारोबार सिर्फ लेनदेन करते हैं वे पूरी तरह से इस आदेश के दायरे से बाहर हैं. काउंसिल के चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा है कि चुनौती ये हैं कि सभी निर्यातक निर्यात और घरेलू क्षेत्र में दोनों के लिए साझा भंडार रखते हैं. दूसरी ओर, आईबीजेए के नेशनल सेक्रेटरी का कहना है कि ज्वैलर्स की समस्या को सुलझाने के लिए सरकार ने एक कमेटी बनाई है. यह बीआईएस अधिकारियों को अपनी समस्याओं की जानकारी देगी.
15 जून से अनिवार्य है गोल्ड हॉलमार्किंग
केंद्र ने सोमवार को स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों के लिये अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू करने की समयसीमा एक पखवाड़ा बढ़ाकर 15 जून तक कर दी. उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया. नवंबर 2019 में सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों पर ‘हॉलमार्किंग’ 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य किये जाने की घोषणा की थी. हालांकि जौहरियों की महामारी के कारण समयसीमा बढ़ाये जाने की मांग के बाद इसे चार महीने आगे खिसकाकर एक जून कर दिया गया था. गोल्ड हॉलमार्किंग कीमती धातु की शुद्धता को प्रमाणित करता है और वर्तमान में यह स्वैच्छिक है.