ग्वालियर। कोरोना के भीषण संकटकाल के बीच भी अब शादी समारोहों को मंजूरी मिल गई है। दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 20 लोगों की मौजूदगी में शादियां होनी हैं। प्रशासनिक आदेशानुसार किसी भी शादी समारोह के लिए पहले मंजूरी लेना अनिवार्य है। 20 मेहमानों की सूची भी नाम के साथ प्रशासन को जमा कराना है। इस नियम का पालन लोग कर रहे हैं। जून माह में तीन तारीख से विवाह मुहूर्त हैं, जिसमें शादी करने के लिए आवेदन इंसीडेंट कमांडर के माध्यम से एसडीएम कार्यालय में जमा कराए जा रहे हैं। वर-वधु के अभिभावकों द्वारा बाकायदा निवेदन पत्र दिया जा रहा है। साथ ही 20 मेहमानों की सूची व निमंत्रण कार्ड भी भेज रहे हैं।

बुधवार दोपहर तक लश्कर क्षेत्र में शादी के लिए तीन, ग्वालियर सिटी के लिए दो व मुरार क्षेत्र के लिए पांच आवेदन एसडीएम के पास पहुंचे थे। वहीं शादी की सूचना देने वाले वर-वधु पक्ष के माता-पिता से नईदुनिया ने बात की तो उन्होंने शादी की तमाम जिम्मेदारियों से कहीं अधिक मुश्किल 20 मेहमानों का चुनाव करना बताया।

कमजोर रही सूची की जमावट, पंडित को ही भूलेः लोगों के लिए 10-10 यानी कुल 20 मेहमानों की सूची बनाना कितना जटिल काम है, इसका अंदाजा हर कोई लगा सकता है। प्रशासन के पास पहुंचे सभी आवेदनों के साथ मेहमानों की सूची तो संलग्न हैं, लेकिन उनमें जो नाम हैं, केवल उनका ही शादी में पहुंचना लगभग असंभव सा है। क्योंकि कई लोगों द्वारा दी गई सूची में तो विवाह कराने वाले पंडित व काजी का नाम ही नहीं है। वर-वधु, दोनों के माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, मामा-मामी इनकी संख्या ही 22 हो गई। ऐसे में एक पंडित को जोड़ दो तो 23 हो गए। ऐसे में शादी में बुआ-फूफा, मौसा-मौसी, ताऊ-ताई, चाचा-चाची व दर्जनों दोस्तों में से किसका नाम शादी में आने वाले मेहमानों की सूची दें।

रिश्तेदार बोले-सब चिंता छोड़कर आप बच्चों की शादी करोः गोल पहाड़िया निवासी एक एडवोकेट की बेटी की चार जून को शादी है। जिसके लिए मेहमानों की सूची एडवोकेट साहब ने जमा करा दी है। जब उनसे बात की तो वे बोले, कि मेरा बहुत बड़ा परिवार है। 20 मेहमानों का चुनाव कर पाना संभव ही नहीं था, मेरी परेशानी का आभास मेरे कई रिश्तेदारों को भी था। ऐसे में उन्होंने खुद मुझे काल कर कहा कि आप सारी चिंताएं छोड़ो, अपने बच्चों की शादी करो। वकील साहब का कहना है कि उन्हें अपने रिश्तेदारों को निमंत्रित न कर पाने का मलाल है, लेकिन जब कोरोना खत्म हो जाएगा तो वे श्रीमद् भागवत कथा, रामायण या बच्चों का जन्मदिन बेहद धूमधाम से मनाएंगे, जिसमें सभी रिश्तेदारों को बुलाएंगे।

रस्म निभाने वाले रिश्तेदार ही सूची मेंः हजीरा निवासी हरगोविंद पाल के बेटे की शादी है। उनका कहना है कि 20 मेहमानों की सूची प्रशासन को सौंप दी है। जिसमें केवल वर-वधु के मात-पिता, दादा-दादी व भाई के ही नाम हैं। उनके बिना शादी हो पाना मुश्किल है, बाकी केवल वे रिश्तेदार ही आएंगे, जिन्हें शादी की रस्में निभानी हैं।

शहरी लोग कुछ ज्यादा ही कानून झाड़ते हैंः मुरार निवासी सुनील शर्मा का कहना है कि वे अपने बेटे की शादी में अधिक मेहमानों को नहीं बुला सकते, ऐसे में वे किसी से शादी की तैयारी के सिलसिले में भी बात नहीं कर रहे, लेकिन कई रिश्तेदार खुद से फोन लगाकर कह रहे हैं कि कोरोना का खतरा है, सब संभलकर करें, लेकिन कई रिश्तेदार जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण हैं, वे बोलते हैं कि शहर वालों को कुछ ज्यादा ही कानून झाड़ना होता है। गांव में तो खूब भीड़ हो रही है शादियों में।