Tue. Apr 29th, 2025

27 साल बाद साथ आए शिअद-बसपा, बदल सकता है पूरा सियासी समीकरण

 चंडीगढ़। पंजाब में सियासत में शनिवार को बड़ा मोड आया जब एनडीए से अलग हुए शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने मायावती की पार्टी बसपा के साथ हाथ मिला लिया और पंजाब का अगला विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का ऐलान कर दिया। ऐलान चंडीगढ़ में किया गया है जहां शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और बसपा की ओर से सतीश मिश्रा मौजूद रहे। सीटों का बंटवारा आने वाले दिनों में किया जाएगा। इसे बादल परिवार का बड़ा दांव माना जा रहा है क्योंकि पंजाब में दलित वोटबैंक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। SAD पहले ही ऐलान कर चुकी है कि उनकी सरकार बनी तो उपमुख्यमंत्री कोई दलीत होगा। पंजाब में 8 माह बाद चुनाव होने हैं जिनमें कांग्रेस के साथ ही SAD+BSP, भाजपा और आम आदमी पार्टी ताकत लगाएंगी।

बता दें, शिरोमणि अकाली दल अब तक एनडीए का हिस्सा था, लेकिन कृषि बिल के मुद्दे पर उसने नाता तोड़ लिया। इस तरह सालों से साथ रहे भाजपा और अकाली का नाता टूट गया था।
BSP और SAD 1996 के लोकसभा चुनावों के बाद यानी करीब 27 साल बाद हाथ मिला रही हैं। तब इस गठबंधन ने पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीत हासिल की थी। उस समय, बसपा ने उन सभी तीन सीटों पर जीत हासिल की थी जिस पर उसने चुनाव लड़ा था और SAD ने 10 में से आठ पर जीत हासिल की थी। तब कांशीराम बसपा प्रमुख थे और उन्होंने भी होशियारपुर से चुनाव लड़ा था। नए सिरे से गठबंधन बनने के पीछे शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अहम भूमिका बताई जा रही है।

पंजाब कांग्रेस में घमासान जारी: पंजाब चुनाव से पहले कांग्रेस का घमासान भी जारी है। पंजाब में कांग्रेस दो हिस्सों बंटी नजर आ रही है। एक तरफ कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू। दोनों धड़ों में अब तो खुलकर जंग हो रही है, जिसकी आवाज पार्टी आलाकमान तक पहुंच चुकी हैं। विवाद सुलझाने के लिए तीन नेताओं की कमेटी बनाई, जिसने रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी है। हालांकि अब तक विवाद का कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। इस पूरे घटनाक्रम के कारण पंजाब में सत्तारुढ़ कांग्रेस कमजोर होती नजर आ रही है। इस हालात के बीच पार्टी नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *