गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायक कुछ नहीं बोलेंगे, बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक आज निर्दलीय बैठक से दूर रहेंगे, यही संभालेंगे सचिन के खिलाफ मोर्चा

कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच चल रहे घमासान के बीच दोनों तरफ से सियासी चालें चली जा रही हैं। गहलोत गुट की तरफ से 13 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों को मिलाकर बने जी-19 ने मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन रणनीति के साथ ये साथ बैठक नहीं करेंगे। जी-19 की आज शाम 5 बजे होने वाली बैठक से बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक शामिल नहीं होंगे। आज की बैठक में 13 में से 12 निर्दलीय ही शामिल होंगे।
जी-19 की बैठक से पहले बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के इस यूटर्न के पीछे गहलोत कैंप की रणनीति बताई जा रही है। बताया जाता है कि बसपा से कांग्रेस में आए विधायक निर्दलीयों के साथ बैठक कर रणनीति बनाते तो पायलट कैंप इसे अनुशासनहीनता का मुद्दा बनाता। इसलिए इन विधायकों ने जी-19 की बैठक में शामिल होने का फैसला बदल दिया। गहलोत समर्थक निर्दलीयों की इस बैठक में सचिन पायलट कैंप को काउंटर करने की रणनीति तैयार होगी।
सरकार समर्थक निर्दलीयों से पायलट कैंप पर जुबानी हमले की रणनीति
आज की बैठक को कांग्रेस में गहलोत-पायलट कैंप के बीच चल रहे सियासी घमासान के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा है। बसपा से कांग्रेस में आए विधायक पहले से पायलट कैंप के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी कर चुके हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक गहलोत कैंप एक सुरक्षित रणनीति के तहत सरकार को समर्थन दे रहे 13 निर्दलीयों को आगे करके पायलट कैंप को निशाने पर लेने की रणनीति बना चुका है। इसी रणनीति के तहत निर्दलीयों की अलग बैठक हो रही है। पायलट के खिलाफ तल्ख बयानबाजी करके कल निर्दलीय रामकेश मीणा ने इसकी शुरुआत कर दी है। आज की बैठक के बाद निर्दलीय विधायक साझा बयान भी जारी कर सकते हैं।
बसपा से आए विधायकों के यू टर्न की वजह अनुशासन
बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने पायलट खेमे के खिलाफ बयानबाजी बंद कर दी है। पिछले दिनों जब बसपा से आने वाले विधायकों ने पायलट कैंप को गद्दार बताया था तो भारी विवाद हुआ था। इसकी शिकायत पायलट कैंप ने कांग्रेस हाईकमान से की थी, इसलिए गहलोत कैंप ने अब 6 विधायकों से पायलट कैंप के खिलाफ बयानबाजी करवाने की जगह 13 निर्दलीयों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों पर कांग्रेस का अनुशासन लागू होता है, जबकि सरकार का साथ दे रहे निर्दलीय कांग्रेस के अनुशासन में बंधे नहीं होने से बयानबाजी कर सकते हैंं।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर निर्दलीयों के सुर बदले
पहले मंत्रिमंडल विस्तार की मांग करने वाले निर्दलीय अब कोरोना की तीसरी लहर का हवाला देकर इसे टालने वाले बयान देने लगे हैं। निर्दलीयों के इन बदले हुए सुरों के पीछे भी गहलोत कैंप की रणनीति बताई जा रही है। गहलोत कैंप यह जताने की कोशिश में है कि सरकार बचाने वाले निर्दलीय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जल्दी में नहीं है जबकि पायलट कैंप ही दबाव बना रहा है। निर्दलीय रामकेश मीणा और ओमप्रकाश हुड़ला के बयानों को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।