सात दिन बाद भी विभागों पर सस्पेंस / ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मांगे आबकारी, परिवहन, राजस्व; शिवराज ने कहा- मैं सारे विभागों का मंत्री
भोपाल. मप्र सरकार के कमाई वाले विभाग अपने खेमे के मंत्रियों को दिलवाने के लिए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी भी अड़े हुए हैं। माना जा रहा था कि बुधवार को दिल्ली में सबकुछ ठीक हो जाएगा और विभाग बंटवारे की सूची जारी हो जाएगी, क्योंकि सिंधिया सीधे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से बात कर रहे हैं। लेकिन, ताजा हालातों में कहा जा रहा है कि गुरुवार दोपहर तक सहमति बन सकती है। इसीलिए गुरुवार सुबह 10:30 बजे रखी गई कैबिनेट की बैठक का समय शाम 5 बजे कर दिया गया है।
वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब विभागों के बंटवारे को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सारे विभाग मुख्यमंत्री में निहित होते हैं। मैं उनका मंत्री हूं। कैबिनेट बैठक में सब हो जाएगा। इससे पहले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भाजपा सबसे सलाह-मशविरा करके निर्णय करती है। यह पार्टी परिवार नहीं, एक समूह है। सबकी सलाह के बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो जाएगा।
विश्नोई ने किया सिंधिया पर कटाक्ष
मंत्रियों को विभाग बांटने में हो रही देरी पर भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पहले मंत्रियों की संख्या, अब विभागों का बंटवारा। डर है, कहीं भाजपा का आम कार्यकर्ता अपने नेताओं की इतनी बेइज्जती से नाराज न हो जाए। कांग्रेस ने विश्नोई के ट्वीट पर चुटकी ली।
मंत्री बनना चाहते हैं शेरा
निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बुधवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिले। इसके बाद उन्होंने कहा कि हर किसी की मंत्री बनने की ख्वाहिश होती है। पॉवर में आने से काम बेहतर तरीके से होता है। मंत्री बनाए जाने की इच्छा भाजपा के सामने रख दी है।
मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव बिल को मिलेगी मंजूरी
भोपाल। कैबिनेट बैठक में बजट चर्चा के साथ अहम विधेयकों को मंजूरी मिलेगी। इसमें साहूकारी अधिनियम संशोधन बिल, सहकारी अधिनियम संशोधन, महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव समेत प्रमुख बिल शामिल हैं।
भाजपा का तर्क- सिंधिया खेमे को पूर्व में मिले विभाग ही दें; दिल्ली से हरी झंडी नहीं
सूत्रों का कहना है कि सिंधिया अपने लोगों को आबकारी, परिवहन, राजस्व, वाणिज्यिक कर और जल संसाधन जैसे विभाग दिलवाना चाहते हैं। भाजपा ने अपनी तरह से तर्क रखा कि कांग्रेस की पिछली कमलनाथ सरकार में जो विभाग सिंधिया खेमे के पास हैं, उन्हें ही रखा जाए। सिंधिया इस पर तैयार नहीं हैं। लिहाजा मप्र भाजपा की तमाम तैयारियों के बाद भी दिल्ली से विभाग बंटवारे को हरी झंडी नहीं मिली। इधर, लगातार हो रही देरी के बाद मंत्रियों का सब्र भी टूट रहा है।
दो जुलाई को मंत्रीपद की शपथ लेने के बाद बुधवार को सात दिन हो गए हैं। इतना समय पहले कभी नहीं लगा। इस बीच वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव ने भी कहा कि कोई साधु-महात्मा की जमात तो नहीं है। सबकी महत्वाकांक्षाएं होती हैं। सिंधिया गुट के मंत्री अपने दल के नेतृत्व से चर्चा कर चाहते हैं कि अच्छा विभाग मिले। इसी में विलंब हो रहा है। पार्टी में नाराजगी के सवाल पर भार्गव ने कहा कि कोई नाराज नहीं है।