जंगल की बात : पौधे लगाएं और इन्हें बचाएं भी, तभी पौधारोपण की सार्थकता होगी सिद्ध
देहरादून। वन महोत्सव के आगाज के साथ ही उत्तराखंड में भी हरियाली के लिए मुहिम तेज हो गई है। पहाड़ से लेकर मैदान और शहर से लेकर गांव तक सभी जगह पौधारोपण को लेकर उत्साह दिख रहा है। यह होना भी चाहिए। बावजूद इसके फिजां में यह सवाल भी अपनी जगह कायम है कि क्या हम वास्तव में हरियाली को लेकर सजग हैं। पिछले अनुभव इस मामले में कचोटने वाले हैं। यहां के जंगलों में ही हर साल डेढ़ से दो करोड़ पौधे लग रहे, मगर इनमें से कितने जीवित रह रहे, अपने आप में विचारणीय प्रश्न है। यदि सभी पौधे जीवित होते तो आज उत्तराखंड में वनावरण 46 फीसद से कहीं आगे बढ़ चुका होता। ऐसा ही हाल अन्य विभागों, संस्थाओं की ओर से रोपे जाने वाले पौधों का भी है। इस सबसे सबक लेने की जरूरत है। पौधे लगाएं और इन्हें बचाएं भी। तभी पौधारोपण की सार्थकता सिद्ध होगी।