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गांगुली ने आज ही के दिन लॉर्ड्स की बालकनी में जर्सी उतारकर जश्न मनाया था, कैफ ने भी 2 साल पहले संन्यास के लिए यही दिन चुना

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को नई टीम इंडिया को तराशने का श्रेय दिया जाता है। जब-जब गांगुली की कप्तानी की बात होती है, तो 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नैटवेस्ट ट्रॉफी में लॉर्ड्स का फाइनल जरूर याद किया जाता है। इस मैच में हार के कगार पर खड़ी होने के बावजूद टीम इंडिया ने जीत दर्ज की और गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में जर्सी उतारकर जश्न मनाया था। यह तस्वीर आज भी हर क्रिकेट फैंस के जहन में ताजा है।

उस जीत के हीरो रहे मोहम्मद कैफ ने भी 2 साल पहले संन्यास के लिए यही दिन चुना था। कैफ ने तब करियर की सबसे यादगार पारी खेली थी। उन्होंने नाबाद 87 रन की पारी खेलकर टीम को 2 विकेट से जीत दिलाई दी थी

रत को 326 रन का लक्ष्य मिला था
इंग्लैंड के खिलाफ नैटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में भारत को जीत के लिए 326 रन का लक्ष्य मिला था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान नासिर हुसैन(115) और मार्कस ट्रेसकॉथिक(109) की पारी की बदौलत 5 विकेट खोकर 325 रन बनाए थे। उस दौर में यह टारगेट बड़ा था। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने 150 रन के भीतर 5 विकेट गंवा दिए थे।

जीत की सभी उम्मीदें खत्म हो गईं थी। इसके बाद युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने छठे विकेट के लिए 121 रन की साझेदारी कर टीम की जीत तय की। युवराज ने आउट होने से पहले 69 रन की शानदार पारी खेली थी। इस जीत के हीरो रहे मोहम्मद कैफ को करियर में पहली बार ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया था।

गांगुली ने फ्लिंटॉफ को जवाब दिया था

नैटवेस्ट ट्रॉफी जीतने के बाद लॉ़र्ड्स मैदान की बालकनी में खड़े भारतीय कप्तान गांगुली ने अपनी जर्सी निकालकर जश्न मनाया था। इसे इंग्लैंड के ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को पूर्व भारतीय कप्तान का जवाब माना जाता है। उसी साल फ्लिंटॉफ ने भारत दौरे पर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मिली जीत के बाद अपनी जर्सी उतारकर हवा में लहराई थी। इस मैच को जीतकर इंग्लैंड ने वनडे सीरीज 3-3 से बराबर की थी।

कैफ ने 2 साल पहले आज ही के दिन संन्यास लिया था
कैफ के क्रिकेट करियर का यह अहम दिन रहा। उन्होंने 2 साल पहले जब संन्यास का फैसला किया, तो 13 जुलाई को ही इसकी घोषणा की थी। तब उन्होंने लिखा था कि आज मैं संन्यास ले रहा हूं। नैटवेस्ट ट्रॉफी जीतने के ठीक 16 साल पूरे होने पर। मुझे खुशी है कि उस जीत का मैं हिस्सा बन पाया और जरूरत के वक्त टीम के काम आ सका।

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