अच्छी बारिश से किसान खुश:5 लाख हेक्टेयर में बोवनी, सोयाबीन का रकबा 1.95 लाख हेक्टेयर घटा, उड़द का 71 हजार हेक्टेयर बढ़ा
सागर लगातार हो रही बारिश का असर किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। इस पखवाड़े में 1.50 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन में किसानों ने बोवनी कर ली है। यही वजह है कि जिले में अब तक बोवनी का कुल रकबा अब बढ़कर 90 फीसदी तक हो गया है। बारिश से कुआं, तालाब आदि लबालब होना भी शुरू हो गए हैं। इससे किसान खुश नजर आ रहे हैं। हालांकि इस बार देरी से हुई बारिश के कारण खेती पर काफी फर्क पड़ा है। जिसके तहत विभिन्न फसलों के रकबा में अंतर आया है।
बीते कई सालों से सोयाबीन में अफलन और कम उपज के कारण इस बार किसानों ने सोयाबीन की खेती करने में कम दिलचस्पी दिखाई है। यही वजह है कि बीते साल जहां 4.38 लाख से ज्यादा हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई थी, वह इस बार 1.95 लाख हेक्टेयर घटकर 2.43 लाख हेक्टेयर पर ही रह गई है।
जबकि उड़द के रकबा में 71000 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई है। उड़द का रकबा पिछले साल 94.15 हजार हेक्टेयर था। इस बार यह बढ़कर 1.65 लाख हेक्टेयर हो गया है। सबसे बड़ा बदलाव धान की खेती में देखने को मिला है। पिछले साल जहां महज 11.55 हजार हेक्टेयर में ही धान की खेती हुई थी। इस बार यह बढ़कर 55 हजार हैक्टेयर में पहुंच गई है। इसकी वजह इस बार श्री विधि जैसी नई तकनीक से धान की खेती करना भी है।
परंपरागत खेती की ओर लौटे किसान, मक्का 17 हजार हेक्टेयर में बोई, ज्वार भी 1500 हेक्टेयर में लगाई
सोयाबीन और उड़द ही नहीं अन्य फसलों की बोवनी पर भी इस बार प्रभाव पड़ा है। मक्का 5.41 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 17 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। इसी प्रकार अरहर भी 2.55 हजार हेक्टेयर की जगह इस बार 10 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। मूंग भी 0.80 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 6 हजार हेक्टेयर में लगाई गई है।
ज्वांर का रकबा भी इस बार 1500 हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इस प्रकार इस बार किसान परंपरागत खेती की ओर भी तेजी से लौटते दिखे हैं। डीडीए कृषि बीएल मालवीय का कहना है कि बाद में हुई बारिश से बचे हुए अधिकांश किसानों ने भी बोवनी कर ली है।
एक्सपर्ट व्यू – खेत में जलभराव हो तो पानी निकासी का प्रबंधन करें किसान
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी का कहना है कि यह बारिश बेहद लाभदायक है। विशेषकर जिन्होंने इस बार धान की खेती की है उन्हें अच्छे परिणाम मिलेंगे। सोयाबीन, उड़द आदि फसलों के लिए भी यह बारिश बेहद अच्छी है। किसान खेत देखते रहें, यदि कहीं जलभराव हो तो पानी निकासी के लिए प्रबंधन करें। इससे जलभराव वाली जगह में फसल खराब नहीं होगी।