आज शहर में दो केबिनेट मंत्री:मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों के बीच सक्रिय हुए धारीवाल, इस कार्यकाल में पहली बार आ रहे हैं बीकानेर, ऊर्जा मंत्री चार दिन के लिए शहर में
राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच राज्य के केबिनेट मंत्री अपने विभागों को लेकर सक्रिय हो गए हैं। यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल के बीकानेर दौरे को भी इसी सक्रियता का हिस्सा मना जा रहा है। दरअसल, धारीवाल ना तो बीकानेर के प्रभारी है और न किसी प्रोजेक्ट का शिलान्यास या उद्घाटन करने आ रहे हैं। वो यहां प्रशासन शहरों के संग अभियान के मुद्दे पर संभागीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से चर्चा करने आ रहे हैं।
धारीवाल शाम सात बजे बीकानेर पहुंचेंगे और शनिवार को रविंद्र रंगमंच पर कार्यशाला में हिस्सा लेंगे। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में मंत्री संभाग मुख्यालयों पर नहीं जाते, लेकिन इस बार मंत्रिमंडल फेरबदल और स्वयं धारीवाल की शिकायतों के बीच उनका दौरा राजनीतिक कारण लिए हुए हैं। खास बात ये भी है कि पिछले ढाई साल में उनके विभाग ने बीकानेर में कोई ऐसा नया काम भी नहीं किया है, जिसका लोकार्पण या शिलान्यास हो रहा हो।
कॉलोनी का उद्घाटन संभव
उधर, नगर विकास न्यास अब मंत्री के आगमन पर एक कॉलोनी के लांच की तैयारी कर रहा है। पिछले लंबे समय से इस कॉलोनी के लिए तैयारी चल रही है। अब न्यास प्रशासन इसका शनिवार को लोकार्पण करवा सकता है। इसी तरह कुछ अन्य कार्य भी ढूंढे जा रहे हैं, जो न्यास की ओर से करवाये जा सके।
कल्ला भी आज बीकानेर
यूडीएच मंत्री के बीकानेर पहुंचने से पहले दोपहर में ही डॉ. बी.डी. कल्ला भी बीकानेर पहुंच रहे हैं। वो यहां यूडीएच मंत्री धारीवाल का स्वागत करेंगे और कल की कार्यशाला में उनके साथ रहेंगे। डॉ. कल्ला अब चार दिन तक बीकानेर ही रहेंगे।
ये समस्याएं हैं यथावत
- बीकानेर रेलवे क्रासिंग का मामला यूडीएच मंत्रालय में ही अटका हुआ है, जहां ओवरब्रिज बनाने या फिर अंडरब्रिज बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। रेलवे क्रासिंग बीकानेर की सबसे बड़ी समस्या है, जिसे नहीं हटाने की स्थिति में फ्लाइओवर की सख्त जरूरत है।
- नगर निगम में कई तरह की कमेटियों का गठन पिछले लंबे समय से नहीं हो रहा है। इन कमेटियों के प्रस्ताव यूडीएच मंत्रालय में ही अटके हुए हैं।
- नगर विकास न्यास की कई कॉलोनियों को लांच करने की तैयारी चल रही है। इन कॉलोनियों से बेघर लोगों को सस्ती जमीन मिल सकेगी। फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ।
- सूरसागर की दुर्दशा पर कोई निर्णय नहीं। झील के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन अब यहां मैदान बन गया है।