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इंसाफ के लिए पैदल ही सफर पर निकले प्रवीण कुमार, धर्मांतरण मामले में आया था नाम

सहारनपुर के रहने वाले प्रवीण कुमार पैदल ही दिल्ली में स्थित सुप्रीम कोर्ट के लिए पैदल सफर पर निकले हैं. धर्मांतरण मामले में क्लीन चिट मिलने के बावजूद प्रवीण कुमार का उत्पीड़न हो रहा है. प्रवीण का कहना है कि लोग उनके घर पर आतंकवादी लिखकर उन्हें पाकिस्तान भेजने की बात कर रहे हैं. सामाजिक प्रताड़ना का शिकार प्रवीण इसलिए अब न्याय की मांग के लिए सहारनपुर से सुप्रीम कोर्ट के लिए पैदल ही निकले हैं.

दरअसल, धर्मांतरण मामले का खुलासा होने के बाद शीतलाखेड़ा गांव प्रवीण कुमार का नाम भी सामने आया था. छापेमारी के बाद एटीएस की टीम उसे साथ लखनऊ ले गई थी. एटीएस तीन बार उनके गांव में बने घर पर आई और कई बार पूछताछ के बाद उन्हें लखनऊ ले जाकर एक हफ्ते तक मुख्यालय में भी रखा.

पूछताछ के बाद उसे एटीएस ने वापस भेज दिया. एटीएस से क्लीन चिट मिलने के बाद भी प्रवीण के घर की दीवारों पर आतंकवादी लिखकर उन्हें पाकिस्तान भेजने वाले पोस्टर लगाए जा रहे हैं. सामाजिक प्रताड़ना का शिकार प्रवीण ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है.

प्रवीण के मुताबिक उनकी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है. ना ही वह किसी धर्मांतरण में शामिल थे. प्रवीण को एटीएस ने तो छोड़ दिया, लेकर गांववालें उन्हें बख्शने को तैयार नहीं हैं. प्रवीण के घर पर आतंकवादी लिखा गया और हाल ही में ‘आतंकवादी पाकिस्तान चला जा नहीं तो’ लिखकर एक पोस्टर भी उनके घर की दीवार पर चिपका दिया गया

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे प्रवीण

प्रवीण कुमार को जिला प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिली. गांव के अवांछित तत्वों की हरकत के बाद उनके परिवार का जीवन दूभर हो गया है. प्रवीण के पिता दिल के मरीज हैं और अब वो गहरे अवसाद में हैं. खुद प्रवीण और उनकी पत्नी तनाव में जी रहे हैं. प्रवीण ने अब इंसाफ और सम्मान के लिए सहारनपुर से दिल्ली तक की सामाजिक न्याय यात्रा शुरू की है. प्रवीण 9 अगस्त को दिल्ली जाकर अपनी बेगुनाही के प्रमाण पत्र के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. प्रवीण खुद राष्ट्रवादी लेखक हैं. उन्होंने सीएम योगी और पीएम मोदी पर दो किताबें और ढेरों कविताएं भी लिखी हैं. प्रवीण नेट क्वालिफाइड है और फिलहाल शुगरमिल में नौकरी करते है. अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से ही इंसाफ की उम्मीद हैं.

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