वायु सेना के शीर्ष कमांडरों की कांफ्रेंस शुरू, चीन से निपटने की बनेगी रणनीति; राफेल की तैनाती पर चर्चा
नई दिल्ली, एएनआइ। देश की वायु सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए आज से वायु सेना के शीर्ष कमांडरों की तीन दिवसीय कांफ्रेंस शुरू हो गई है। वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की अध्यक्षता में हो रही इस कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। इसके अलावा कांफ्रेंस में सभी सात कमांडर-इन-चीफ भी मौजूद हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान चीन से निपटने की रणनीति पर चर्चा होगी और राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख में तैनात करने पर फैसला लिया जा सकता है। वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने अपने कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना शार्ट नोटिस के साथ-साथ रणनीतिक खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
कमांडर कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारतीय वायु सेना की भूमिका को राष्ट्र हमेसा याद रखेगा। कोरोना महामारी के लिए देश की प्रतिक्रिया के दौरान उनका योगदान बेहद सराहनीय रहा है। उन्होंने कहा कि एयरफोर्स ने बहुत ही प्रोफेशल ढंग से बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी। ईस्टर्न लद्दाख में भी वायुसेना ने अपनी तैनाती करके कड़ा संदेश दिया है।
चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में लद्दाख में राफेल लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया जा सकता है। 29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल विमानों की पहली खेप मिलने वाली है। वायु सेना ने अपने आधुनिक बेड़े के मिराज 2000, सुखोई-30, और मिग-29 लड़ाकू विमानों को पहले ही लद्दाख में अग्रिम बेस पर तैनात कर चुका है।
सूत्रों ने बताया कि राफेल के पहले स्क्वाड्रन को अंबाला एयर बेस पर तैनात किया जाएगा, जो रणनीतिक रूप से वायु सेना का बहुत ही अहम बेस है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया है। अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से युक्त राफेल विमानों के शामिल होने से वायु सेना की ताकत बहुत बढ़ेगी। वायु सेना फ्रांस से मिलने वाले राफेल को रूसी लड़ाकू विमानों के बेड़े के साथ तैनात करने पर काम कर रही है।