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शहर की लाइफ लाइन बड़ा तालाब में आधा फीट पानी ही बढ़ा, कोलार, कलियासोत और केरवा डैम 14 से 32 फीट तक खाली

मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं तो डैम-तालाब लबालब हो चुके हैं, लेकिन इसके उलट भोपाल की लगभग 25 लाख आबादी की प्यास बुझाने वाले जलस्रोतों में वाटर लेवल नहीं बढ़ रहा है। बीते 4 दिन की बात करें तो शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बड़ा तालाब में आधा फीट पानी की ही बढ़ोतरी हुई है, जबकि कोलार, केरवा और कलियासोत डैम 14 से 32 फीट तक खाली है।

मौसम विशेषज्ञों की माने तो भोपाल-सीहोर जिलों में इस बार पिछले साल की तुलना में ज्यादा पानी बरसा है, लेकिन तेज झड़ी नहीं लगने के कारण जलस्रोतों में उम्मीद के मुताबिक पानी जमा नहीं हो पाया। केरवा, कलियासोत और कोलार डैम (सीहोर) में 1-1 फीट पानी ही बढ़ा है।

भोपाल में 18 तो सीहोर में 22 इंच बारिश

भोपाल में अब तक एवरेज 18 तो सीहोर में 22 इंच बारिश हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। बावजूद जलस्रोतों में ज्यादा पानी जमा नहीं हो पाया है।

इतना बढ़ा वाटर लेवल

कोलार डैम : बीते 4 दिन में 1 फीट पानी बढ़ा है। इसके बाद लेवल 1484 फीट पर पहुंच गया है। चूंकि, डैम की जलभराव क्षमता 1516 फीट है। ऐसे में 32 फीट पानी की और जरूरत है। सीहोर जिले में तेज बारिश होने के बाद ही डैम में पानी जमा होता है। भोपाल शहर के करीब 50% हिस्सों में कोलार के पानी की सप्लाई की जाती है।

केरवा डैम : डैम की कुल क्षमता 1672 फीट है। जिसमें अभी 1658 फीट पानी जमा है। चार दिन के भीतर इसमें एक फीट पानी ही बढ़ पाया है। शहर के कई हिस्सों में केरवा डैम से भी सप्लाई की जाती है।

कलियासोत डैम : डैम में अभी 1645.50 फीट पानी जमा है। करीब 14 फीट पानी आने के बाद ही डैम लबालब हो पाएगा।

बड़ा तालाब में वाटर लेवल 1661 फीट से ज्यादा
बड़ा तालाब का वाटर लेवल 1661 फीट पर पहुंच गया है। बीते चार दिन में इसमें आधा फीट पानी बढ़ा है। तालाब के कैचमेंट एरिया में कम बारिश होने से यह स्थिति बनी है। तालाब का कैचमेंट एरिया 365 वर्ग किमी है। इसमें से 225 वर्ग किमी कोलांस नदी से भरता है। इसलिए जब भी सीहोर जिले में अच्छी बारिश होती है, तो कोलांस नदी में पानी आता है, जो बड़ा तालाब में पहुंचता है। नगर निगम में बड़ा तालाब प्रभारी एमएल पंवार ने बताया कि कैचमेंट एरिया में कम बारिश होने से बड़ा तालाब में पानी की आमद भी कम हुई है।

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