जल्द मालगाडियों के लिए खुलेगा DFC ट्रैक:पालनपुर से मदार तक फिलहाल ट्रायल मालगाडियों का हो रहा संचालन, SAG निरीक्षण शुरू, इसके बाद सुचारू संचालन की मिलेगी स्वीकृति
भारतीय रेल की सबसे महत्वकांक्षी डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर योजना के तहत तैयार पालनपुर से मदार तक के ट्रैक पर जल्द की सुचारू रूप से मालगाडियों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे की चार सदस्यीय टीम द्वारा गुरुवार से निरीक्षण शुरू कर दिया गया है। दो दिवसीय निरीक्षण के बाद टीम द्वारा अगर हरी झंडी मिल जाती है तो इन ट्रैक पर मालगाडियों का सुचारू संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
माना जा रहा है कि अगर निरीक्षण के दौरान सब कुछ ठीक रहा और एसएजी टीम इस ट्रैक को सुरक्षित मानती है तो 15 अगस्त को करीब 360 किलोमीटर के इस ट्रैक को मालगाडियों के सुचारू संचालन के लिए खोल दिया जाएगा। ट्रैक के तैयार होने के बाद से पिछले करीब 2 माह से इस ट्रैक पर ट्रायल मालगाडियों का संचालन पूर्णतया सफल रहा है। इस कारण एसएजी निरीक्षण किया जा रहा है।

यह रहेंगे निरीक्षण में शामिल
बताया गया कि दो दिवसीय निरीक्षण में प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी पीके जैन, मुख्य सिगनल इंजीनियर अनुराग गोयल, मुख्य ट्रैक इंजीनियर आनंद भाटिया और मुख्य विद्युत सर्विस इंजीनियर सुरेंद्र गोयल निरीक्षण में शामिल है। इनके साथ ही डीएफसी कॉरपोरेट ऑफिस के अधिकारी और अजमेर युनिट के मुख्य महाप्रबंधक सुनील सिंह भी निरीक्षण के दौरान साथ है। यह कमेटी निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। जिसके आधार पर डीएफसी के प्रबंध निदेशक आरके जैन इस खंड को मालगाडियों के लिए खोलने की स्वीकृति देंगे।

2 महीने से चल रहा ट्रायल
गौरतलब है कि पालनपुर से मदार तक डीएफसी के ट्रैक के तैयार होने के बाद इस पर ट्रायल इंजन चलाया गया। उसके बाद कुछ मालगाडियों का भी संचालन किया गया। कुछ समय पूर्व इस खंड की कोयले और सीमेंट की फैक्ट्रियों से जाने वाली मालगाडियों और का संचालन डीएफसी पर किया जाने लगा। गत कुछ सप्ताह से डीएनसी के ट्रैक पर डबल डेकर ट्रायल मालगाडियों का भी सफल संचालन किया जा रहा है।
बढेगी व्हील लोड़ क्षमता
वर्तमान में कम ऊंचाई होने के बावजूद मालगाड़ियों की क्षमता कम है फिर भी उसके बैकअप पॉवर लगाना पड़ रहा है। इस ट्रैक में पूर्ण रूप से जापानी पटरियों का उपयोग किया जाएगा। अभी 12 से 15 फीट की ऊंचाई होने के बाद भी मालगाड़ियों का व्हील लोड क्षमता 22 टन (हर व्हील पर पड़ने वाला लोड) है और मालगाड़ी की लंबाई महज 700 मीटर तक होती है। इस पुल के स्लैब को इस प्रकार बनाया गया है कि डीएफसीसी पर दौड़ने वाली मालगाड़ी की लंबाई भी बढ़ाकर डेढ़ किलोमीटर हो जाएगी।
व्हील लोड भी बढ़कर 32 टन हो जाएगा। इसके साथ ही इसमें सिंगल पॉवर (इंजन) ही लगेगा। ये ट्रैक डबल होगा। दोनों ट्रैक पर एक मालगाड़ी दूसरी से करीब 20 किलोमीटर पीछे चल सकेगी। प्रत्येक मालगाड़ी की लंबाई करीब 1 से डेढ़ किलोमीटर लंबी होगी। गाड़ी में 100 से 120 मालवाहक डिब्बे होंगे।
360 किलोमीटर ट्रेक पर 139 ब्रिज
वेर्स्टन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ट्रेक पर एक दिन में करीब 140 गुड्स ट्रेन चलेगी। इस ट्रेक के बिछने से ना सिर्फ हाइवे पर रोड ट्रेफिक कम होगा बल्कि माल लदान की कीमतों में कमी होने से सामग्री के दामों में भी कमी आएगी। यात्री ट्रेक पर एक भी गुड्स ट्रेक नहीं चलेगी तो ट्रेक खाली रहेगा और यात्री गाड़ी की स्पीड़ बढ़ने के साथ नई गाड़यां भी चलाई जा सकेगी।
अभी गुड्स ट्रेन डीजल इंजन से चलती है लेकिन पूरा ट्रेक इलेक्ट्रिक सिस्टम होने के कारण ये ट्रेन इलेक्ट्रिक इंजन से चलेगी। इस पूरा ट्रेक ऑटोमेटिक सिस्टम प्रणाली से संचलित होगा। 360 किलोमीटर के ट्रेक में करीब 139 ब्रिज बनाए गए हैं। इनमें से 13 ओवरब्रिज और 126 अंडर ब्रिज हैं।