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राजस्थान गहलोत ने राज्यपाल से मिलने के लिए फिर से समय मांगा, इसमें विधानसभा सत्र के लिए नया प्रस्ताव देंगे; मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई

राजस्थान में सियासी घटनाक्रम का आज 16वां दिन है। विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र में ठन गई। राज्यपाल की आपत्तियों के बाद गहलोत ने फिर से मिलने का वक्त मांगा है। इस दौरान वे सत्र के नया प्रस्ताव देंगे। राज्यपाल ने कल रात मुख्यमंत्री को भेजे लेटर में कहा था कि सत्र किस तारीख से बुलाना है, इसका न कैबिनेट नोट में जिक्र था, न ही कैबिनेट ने अनुमोदन किया।

उधर, गहलोत ने कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की मीटिंग बुलाई है। खबर है कि वे विधायकों के साथ फेयर मोंट होटल में बैठक भी कर सकते हैं। उधर, कांग्रेस आज भाजपा के खिलाफ सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर रही। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा राज्य में लोकतंत्र की हत्या कर रही है।

कल रात तीन घंटे बैठक की थी

मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर अड़े हैं। उन्होंने शुक्रवार देर रात 1 बजे तक कैबिनेट की बैठक की। तीन घंटे चली बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा की गई। क्या फैसला लिया गया। इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। इससे पहले दोपहर को मुख्यमंत्री और विधायकों ने 5 घंटे राजभवन में धरना दिया था। 27 साल पहले कांग्रेस के मुख्यमंत्री भेरौसिंह शेखावत ने ऐसा किया था। 1993 में वे राजभवन में धरने पर बैठ गए थे।

  • यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जयपुर में भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन किया। ​​​​​
  • केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मौजूदा हालात पर ट्वीट किया, ‘जहां राज्यपाल को मुख्यमंत्री धमका कर असुरक्षित महसूस करवाए, वहां चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्या और हिंसक झड़पों से त्रस्त राजस्थानवासियों को मुख्यमंत्री के आगे अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाना बेकार है।’
  • मुख्यमंत्री और विधायकों ने 5 घंटे राजभवन में धरना दिया।
  • 5 सवालों से समझिए… राजस्थान की सियासत की पूरी तस्वीर
    1. हाईकोर्ट के फैसले का पायलट खेमे पर क्या असर होगा?
    जवाब: हाईकोर्ट ने 19 विधायकों को नोटिस मामले में यथास्थिति को कहा है। मायने यह कि अभी उनकी सदस्यता रद्द नहीं होगी। आदेश का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू करेगा।
    2. क्या गहलोत सरकार के पास बहुमत है?
    जवाब: गहलोत सरकार ने राजभवन ले जाकर विधायकों की परेड करवाई। इसमें 102 का आंकड़ा दिया है। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, बीटीपी के 2, सीपीएम और आरएलडी का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। यदि दो-पांच विधायक भी इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में है।
    3. क्या राज्यपाल सोमवार को विशेष सत्र बुलाएंगे?
    जवाब: राज्यपाल द्वारा शुक्रवार रात कैबिनेट से 6 सवाल पूछने, कोरोना का हवाला देने तथा इतनी जल्दबाजी में विशेष सत्र बुलाने जैसे सवालों पर जवाब मांगने से लगता है कि राज्यपाल सोमवार को या इमरजेंसी में सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देंगे। यदि कैबिनेट ने दूसरी बार राजभवन काे प्रस्ताव भेजा तो नियमानुसार राज्यपाल मना भी नहीं कर सकते। लेकिन तुरंत सत्र की गुंजाइश नहीं लग रही है।
    4. आखिर सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं गहलोत?
    जवाब: सत्र बुलाना तो बहाना है। मंशा बिल लाकर व्हिप जारी करना है। जो बागी बिल के खिलाफ वोट देंगे उनकी सदस्यता रद्द होगी। इसीलिए राज्यपाल को जो पत्र दिया, उसमें फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं। 19 की विधायकी गई तो बहुमत को 92 विधायक चाहिए जो सरकार के पास हैं।
    5. भाजपा की सत्र बुलाने में रुचि क्यों नहीं है?
    जवाब: भाजपा नहीं चाहती कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट गुट पर एक्शन ले। वह चाहती है कि 19 विधायकों की सदस्यता बची रहे और जरूरत पड़े तो सरकार को हिला सकें।

    सियासी संग्राम से पहले विधानसभा में स्थिति
    107 कांग्रेस
    …और अब ये हालात
    गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 माकपा यानी कुल 102
    पायलट गुट: 19 बागी कांग्रेस, 3 निर्दलीय। कुल 22
    भाजपा प्लस: 72 भाजपा, 3 आरएलपी। कुल 75
    माकपा 1 : गिरधारी मईया फिलहाल तटस्थ।

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