सिकराय में कांग्रेस-भाजपा ने की बाडाबंदी:कांग्रेस लगातार चौथी बार प्रधान पद हथियाने के प्रयास में तो भाजपा 15 साल बाद कुर्सी पर बैठने का देख रही सपना, निर्दलीय तय करेंगे जीत का गणित

जिले में पंचायती राज चुनावों के संपन्न होने के बाद पंचायत समितियों में अपनी-अपनी पार्टियों का प्रधान बिठाने के लिए कांग्रेस एवं भाजपा नेताओं ने प्रत्याशियों की बाडाबंदी कर दी है। सिकराय में भाजपा ने पहले चरण के बाद ही प्रत्याशियों की बाडाबंदी कर दी थी। लेकिन तीसरे चरण के चुनाव बाद कांग्रेस ने भी सिकराय-सिकंदरा पंचायत समितियों के पार्टी एवं निर्दलीय प्रत्याशियों की एक साथ बाड़ाबंदी कर दी है। दोनों ही पार्टियां निर्दलीय व बसपा प्रत्याशियों से लगातार संपर्क बनाए हैं। ऐसे में जिनके पास अधिक निर्दलीय होंगे, उसी पार्टी का प्रधान बनना तय है।
इसके लिए दोनों ही पार्टियों के नेता लगातार भागदौड में लगे हुए हैं। दोनों ही पार्टियां अपना-अपना प्रधान बनाने के दावे कर रहीं है। लेकिन 4 सितंबर को चुनाव परिणाम के बाद जीतकर आने वाले प्रत्याशियों से तस्वीर साफ होगी। फ़िलहाल पार्टियां रुझानों में हारने वाले प्रत्याशियों की भी बाड़ाबंदी कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों ही पार्टियों ने सभी प्रत्याशियों को अजमेर जिले में रखा है।
निर्दलीय तय करेंगे प्रधान की जीत
सिकराय पंचायत समिति के 21 वार्डों में कांग्रेस-भाजपा के 42 सहित कुल 83 प्रत्याशियों में से किसे जीत मिलेगी, यह 4 सितंबर को होने वाली मतगणना के बाद ही तय होगा। हालांकि चुनाव के बाद आए रुझानों में दोनों ही पार्टियों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। इसलिए प्रधान पद हासिल करने के लिए तीन से चार निर्दलियों को शामिल करना जरूरी होगा। दोनों ही पार्टी के नेता निर्दलियों से भी लगातार संपर्क बनाकर बाड़ाबंदी कर रहे हैं। जिसके पास ज्यादा निर्दलीय होंगे, प्रधान भी उसी पार्टी का बैठेगा।
एक साल बाद खुला प्रधान चैंबर
पंचायती चुनाव की मतगणना के बाद पंचायत समिति में नए प्रधान बैठने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। करीब एक साल से प्रशासक कार्यकाल के दौरान बंद प्रधान चैंबर की सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। यह चैंबर तत्कालीन प्रधान बादाम सैनी का कार्यकाल पूरा होने के बाद से 2020 से ही बंद था। लेकिन अब पुनः चुनाव को लेकर पंचायत समिति तैयारियों में जुटी हुई है। यहां प्रधान के लिए सामान्य महिला की सीट रिजर्व है। बीते 20 साल से भी महिलाएं ही प्रधान बनती हुई आ रही है। यह पांचवां मौका होगा, जब फिर से प्रधान कुर्सी महिला ही संभालेगी।

सिकराय में 62 साल में बने 8 प्रधान
प्रदेश में पंचायती राज के गठन के बाद वर्ष 1960 में बनी पंचायत समिति सिकराय के पहली बार स्वतंत्र पार्टी से मूलचंद बोहरा प्रधान चुने गए थे। इन्होंने लगातार 28 साल तक कुर्सी संभाली। बोहरा वर्ष 1977 तक स्वतंत्र पार्टी तथा इसके बाद 1988 तक भाजपा के प्रधान रहे। इनके बाद 1988 में रामकिशोर मीना प्रधान चुने गए, लेकिन 1990 में हुए विधानसभा चुनावों में मीना को विधायक चुने जाने के बाद प्रधान का शेष कार्यकाल कांग्रेस के उपप्रधान लटूरमल सैनी ने पूरा किया। वर्ष 2000 तक रामप्रसाद मीना पंचायत समिति के प्रधान रहे। इनके बाद 2000 से 2005 के बाद गीता वर्मा ने भी पांच साल तक प्रधान कुर्सी संभाली। इसी प्रकार 2005 में साबोदेवी मीना, 2010 में किशनप्यारी मीना तथा 2015 में बादाम सैनी को कांग्रेस पार्टी ने प्रधान बिठाकर सिकराय में भाजपा का इतिहास बदल दिया था।
भाजपा-कांग्रेस का 4-4 बार रहा दबदबा
पंचायत समिति प्रधान सीट पर एक बार स्वतंत्र पार्टी एवं चार-चार बार कांग्रेस-भाजपा के प्रधान निर्वाचित हुए हैं। बीते 15 सालों से यहां कांग्रेस की तीन महिलाएं प्रधान बनीं थी। जिन्होंने पांच- पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इस बार कांग्रेस अपना दबदबा बनाए रखने तो भाजपा 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। अब देखना यह है कि कौनसी पार्टी अपनी जीत का परचम लहराती है।
पूर्व मंत्री एवं विधायक ने भी की प्रधानी
पंचायत समिति में साल 1988 में प्रधान चुने गए भाजपा के रामकिशोर मीना ने 1990 तक कुर्सी संभाली। लेकिन इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में सिकराय से विधायक चुने गए मीना के बाद शेष तीन साल का कार्यकाल कांग्रेस के उप प्रधान ने पूरा किया। मीना भाजपा सरकार में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। इसी प्रकार साल 2000 में प्रधान बनी भाजपा की गीता वर्मा भी 2013 में विधानसभा चुनाव लड़कर सिकराय से विधायक चुनी गई।