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नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी पर कसा तंज, बोले- CM दुखी हैं क्योंकि कब रहेंगे, कब जाएंगे भरोसा नहीं

दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भाजपा के उन नेताओं में शामिल हैं, जो अपनी पार्टी और अपने नेताओं के खिलाफ भी बोलने से पीछे नहीं हटते हैं। इसी वजह से अक्सर उनके बयान चर्चा में बने रहते हैं। हाल ही में उन्होंने कुछ ऐसा कहा है, जिस पर खूब बातें बन रही हैं। दरअसल नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद सोमवार को राजस्थान के जयपुर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी। इस दौरान गडकरी ने कहा कि जो मुख्यमंत्री बनते हैं, वो भी परेशान रहते हैं क्योंकि पता नहीं उन्हें कब हटा दिया जाएगा।

यह कार्यक्रम जयपुर में विधानसभा परिसर में आयोजित किया गया था, जिसमें संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाएं विषय पर कार्यशाला थी। इसी कार्यशाला में अपने संबोधन के दौरान नितिन गडकरी ने यह बयान दिया, जिसे गुजरात की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा ने किया था। कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने कहा कि यदि संसदीय लोकतंत्र मजबूत होगा तभी देश भी मजबूत होगा।

क्या बोले गडकरी

लोकतंत्र की मजबूती पर जोर देते हुए गडकरी ने कहा लोगों की भावनाओं को जीतकर आगे आना ही लीडरशिप है। एक आदमी रिक्शे में कई लोगों को बैठाकर अकेला उसे खींचता था। यह देखकर मुझे दुख होता था, इसलिए ई रिक्शा की शुरुआत की, लेकिन आधिकारियों ने इसे गलत कहा। मामला कोर्ट में गया, तब मैने कहा कि अगर गरीब के लिए कानून तोड़ना पड़ेगा तो मैं वह भी करूंगा।

इस बयान पर हो रही चर्चा

इस कार्यशाला के समापन सत्र में गडकरी ने कहा “आजकल हर किसी की समस्या है, हर कोई दुखी है। विधायक इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मंत्री नहीं बन पाए। मंत्री इसलिए दुखी हैं, क्योंकि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। अच्छे विभाग वाले इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। जो मुख्यमंत्री बन पाए वो इसलिए दुखी हैं, क्योंकि कब रहेंगे और कब जाएंगे, इसका भरोसा नहीं है। गडकरी के इस बयान को गुजरात की राजानीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां बीजेपी ने विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया है और भूपेंद्र पटेल को उनकी जगह लाया गया है। यह माना जा रहा है कि गडकरी ने मंत्री और मुख्यमंत्री के दुखी होने का उदाहरण देकर अपनी ही पार्टी पर तंज कसा है।

भाजपा में शामिल नहीं होंगे आजाद

इस कार्यशाला में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुझ पर आरोप लगता है कि मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं, लेकिन मैं कही नहीं जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज के समय में विधानमंडल लाचार होने के साथ बड़ी कठिनाइयों से गुजर रहे हैं। जबकि राजनीति में कटुता के लिए जगह नहीं होनी चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी से विपक्ष के नेता के संबंध बेहतर होने चाहिए। आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत से अपने संबंधों की चर्चा करते हुए एक किस्सा याद किया, जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने स्वर्गीय मदनलाल खुराना को आजाद के पास भेजते हुए कहा कि इन्हें समझाना सदन कैसे चलता है।

 

 

 

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