गहलोत की नई टीम में जोधपुर के हाथ खाली:मंत्रिमंडल में एक भी विधायक को मौका नहीं, अब राजनीतिक नियुक्तियों में बंधी उम्मीद
जोधपुर राजस्थान के नए मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले से एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। अब कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाने से निराश विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में पद मिलने की उम्मीद है। हालांकि मारवाड़ से एक मंत्री हरीश चौधरी की जगह गुढ़ामलानी विधायक हेमाराम चौधरी को जरूर मंत्री पद दिया गया है।
जोधपुर में कांग्रेस के 7 विधायक नए हैं। ऐसे में मंत्री का पद मिलना जोधपुर के लिए पहले से ही संभव नहीं था। मनीषा पंवार, दिव्या मदेरणा, महेन्द्र विश्नोई, मीना कंवर, हीराराम आदि नए होने से किसी विधायक को मंत्री पद की दौड़ में शामिल माना ही नहीं गया। इन विधायकों को सीएम के गृहनगर में होने का प्रीवलेज पहले से ही है। इधर दिव्या के परिवार से जिला प्रमुख उसकी मां को बनाने के बाद माना जा रहा है कि विधायक को पहले ही बड़ी सौगात मिल चुकी है। उप जिला प्रमुख महेन्द्र विश्नोई का भाई बना चुके हैं
इस बदलाव के बाद जोधपुर में कांग्रेस पार्टी के फ्रंट लाइन व सेकेंड लाइन वर्कर दोनों की महत्वकांक्षा बढ़ती दिख रही है। गहलोत के करीबी राजेन्द्र सोलंकी, रामेश्वर दाधीच, पायलट के करीबी करण सिंह उचियारडा और सईद अंसारी इसी कतार में हैं। रिको डायरेक्टर सुनिल परिहार को भी बड़े पद की अपेक्षा है। इधर सेकेंड लाइन में अनिल टाटिया, राहुल पररासर, अजय त्रिवेदी, शांति लाल लिंबा कतार में नजर आ रहे हैं।
माना यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने गृह नगर में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सौगात दे सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री सलाहकार, सचेतक, उप सचेतक, संसदीय सचिव जैसे पदों पर जोधपुर के नेताओं का नम्बर लग सकता है। यहां लंबे समय से जिलाध्यक्ष पद पर बदलाव की कवायद भी चल रही है। ऐसे में जिलाध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे को जिम्मेदारी मिल सकती है।
मारवाड़ की बात करें तो हेमाराम चौधरी से पहले भी तीन विधायक मंत्रिमंडल में शामिल थे, अब भी संख्या तीन है। हरीश चौधरी के इस्तीफे के बाद पायलट गुट के हेमाराम चौधरी ने कैबिनेट मंत्री के रुप में शपथ ली है। राजस्थान सियासी संकट 2020 में भी हेमाराम चौधरी ने अशोक गहलोत सरकार की खुलकर बगावत की थी। वहीं, सुखराम विश्नोई और सालेह मोहम्मद पहले से गहलोत मंत्रिमंडल में है।