उत्तराखंड में उद्योगों के लिए कृषि भूमि उपयोग परिवर्तन में राहत, सरल बनाई गई प्रक्रिया; कैबिनेट ने दी मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड में कृषि भूमि पर स्थापित हो रहे या होने जा रहे औद्योगिक इकाइयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। इन प्रतिष्ठानों के लिए कृषि भूमि को अकृषि भूमि में परिवर्तित करने की प्रक्रिया सरल बनाई गई है। राज्य मंत्रिमंडल ने इस फैसले को मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल ने करीब 1300 करोड़ रुपये के द्वितीय अनुपूरक बजट से संबंधित विधेयक को मंजूरी दी
मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 की धारा-143 में संशोधन पर मुहर लगाई। इसके साथ ही उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था नियमावली, 1952 में नियम-135 में नया प्रविधान किया गया है। इसके अनुसार औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि को अकृषक करने के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकृत समिति अथवा जिला स्तरीय प्राधिकृत समिति में अनुमोदित प्रस्ताव को सीधे भूलेख उपनिरीक्षक को भेजा जाएगा। बीच की प्रक्रिया को शिथिल किया गया है। इससे भूमि को अकृषि करने में लगने वाले समय की बचत होगी
अतिथि शिक्षक व संविदा प्रवक्ता होंगे बहाल
मंत्रिमंडल ने अतिथि शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। अब राज्य लोक सेवा आयोग से प्रवक्ता और राज्य अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से चयनित होने वाले एलटी शिक्षकों की वजह से अतिथि शिक्षकों को हटाया नहीं जाएगा। जो हटाए गए हैं, उन्हें बहाल किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने तय किया है कि अतिथि शिक्षकों को उनके गृह जिलों में ही तैनाती देने की भरसक कोशिश की जाएगी। इसीतरह सरकारी पालीटेक्निक में 2018 में हटाए गए 150 से अधिक संविदा प्रवक्ता को भी नियुक्ति में बहाल करने का निर्णय लिया गया
जीएमवीएन के नौ कार्मिक होंगे समायोजित
मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री आवास पर कार्यरत गढ़वाल मंडल विकास निगम कैंटीन के नौ कर्मचारियों के समायोजन को भी मंजूरी दी। सचिवालय में संबद्ध विभागीय कर्मचारियों की संविलियन प्रक्रिया के दौरान ये कर्मचारी छूट गए थे। इन्हें सचिवालय व राज्य संपत्ति विभाग में समायोजित किया जाएगा। नौ व 10 दिसंबर को हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में द्वितीय अनुपूरक बजट भी रखा जाएगा। मंत्रिमंडल ने करीब 1300 करोड़ के अनुपूरक बजट से संबंधित विधेयक को भी मंजूरी दी है