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जीन एडिटिंग टेक्नॉलॉजी एवं रेगुलेशन – डॉक्टर शिवेंद्र बजाज, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री

दिल्ली। जीवन के सभी पक्षों में साईंस एवं टेक्नॉलॉजी का समावेश आधुनिक सभ्यता की पहचान हैहम उम्मीद करते हैं कि टेक्नॉलॉजी चुनौतियों को संबोधित कर हमारा जीवन आसान बनाएगी। यही उम्मीद में खेती में टेक्नॉलॉजी के उपयोग के लिए करते हैं। किसान टेक्नॉलॉजी का उपयोग कर मशीनीकरण द्वारा खेत तैयार करने की प्रक्रिया आसान बनाते हैं और खेती के लिए इनपुट को ज्यादा प्रभावशाली बनाते हैं, फिर चाहे कीटनाशकों का उपयोग हो या फिर बायो स्टिमुलैंट कोटेड बीज, नियंत्रित खेती और पोषक तत्वों का इनपुट या फर्टिगेशन। खेतों की निगरानी एवं आंकड़ों का विश्लेषण, खेत में हो या फिर दूर बैठकर, यह उचित पोषक तत्वों के सप्लीमेंट एवं कीट नियंत्रण की विधियों द्वारा सेहतमंद फसल के विकास में मदद करते हैं। मशीनीकरण का उपयोग कटाई एवं उत्पाद को बाजार में पहुंचाने की प्रक्रिया में भी विस्तृत तौर पर होता है। मार्केट एक्सेस डिजिटल प्लेटफॉर्स, जैसे मौसम के पूर्वानुमान, फसल कटाई के पूर्व व बाद में सभी संभावित जरूरतों, विनिमय व वित्तीय जरूरतों के लिए ई-नाम, एम-किसान, किसान सुविधा एवं पूसा कृषि का उपयोग कर दूर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इसी प्रकार बीजों के मामले में अनुमोदित फसल के लिए बायोटेक विशेषताएं किसानों द्वारा व्यापक तौर पर स्वीकार की गई हैं।

डॉक्टर शिवेंद्र बजाज, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया ने कहा, “टेक्नॉलॉजी ने विस्तृत सीक्वेंसिंग एवं फेनोटाईपिंग के साथ फसल से संबंधित शोध एवं प्लांट ब्रीडिंग पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। जेनेटिक्स एवं जीन फंक्शन के बारे में हमारी जानकारी ने ब्रीडिंग की एफिशियंसी एवं इच्छित गुणों के चयन में वृद्धि की है। किसानों एवं पौधा उत्पादकों द्वारा विभिन्न फसलों के लिए दशकों से एग्रोनोमिक डेटा एकत्रित किया गया है तथा नई प्रगति द्वारा पौधा उत्पादक जेनेटिक इन्फॉर्मेशन भी प्राप्त कर सकते हैंआज पौधा उत्पादक जेनेटिक अंतरों को गुणों के अंतर से जोड़ सकते हैंविस्तृत रूप से उपलब्ध डेटा के विश्लेषण से पौधा उत्पादक अपने प्रयोगों से यादृच्छिकता को समाप्त कर बेहतर गुण पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ संकर का अनुमान लगा सकते हैं। कृत्रिम योग्यता सही अनुमान लगाने में मदद करती है।

उत्पादकों के लिए दूसरा टूल है प्राकृतिक तौर से होने वाली प्रक्रिया, यानि जीन एडिटिंग, जिसका उपयोग कर किसी बाहरी जीन/डीएनए की मदद के बिना निश्चित तरीके से जीन्स/डीएनए सीक्वेंसिंग में संशोधन व सुधार किया जा सकता है। जीन एडिटिंग की विभिन्न विधियों में से क्रिस्पर/कैस9 सबसे लचीला एवं यूजर-फ्रेंडली प्लेटफॉर्म है, जो आरएनए डिजाईन पर आधारित है इसलिए सबसे किफायती है। सहज डिजाईन एवं क्रिस्पर एडिटिंग का आसान क्रियान्वयन छोटे खिलाड़ियों एवं सार्वजनिक संस्थानों द्वारा उपयोग के लिए व्यवहारिक है, जो कसावा, सेम, मटर, शकरकंद आदि फसलों के साथ विभिन्न फसलों (जैसे दाल, बाजरा एवं सब्जियों) के लिए टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हैं।

पारंपरिक ब्रीडिंग या फिर केमिकल म्यूटाजेनेसिस क्रमशः जीन मिक्सिंग एवं म्यूटेशन की यादृच्छिक प्रक्रियाएं हैं। इसलिए सही पृष्ठभूमि में इच्छित गुण प्राप्त करने के लिए विभिन्न पीढ़ियों के विस्तृत चयन की जरूरत होती है। पारंपरिक रूप से उगाई गई फसलें केवल बीज की गुणवत्ता के लिए नियमित की जाती हैं। जीन एडिटिंग द्वारा सटीक तरीके से एक ही पीढ़ी में पारंपरिक ब्रीडिंग की भांति ही जेनेटिक परिवर्तन हो सकते हैं। इसलिए मल्टीजनरेशन चयन एवं क्रॉसिंग में लगने वाला समय व श्रम बचता है तथा अंतिम उत्पाद बिल्कुल पारंपरिक रूप से उगाए गए उत्पाद की तरह होता है।

अंतिम किस्म में बहुत अल्प जेनेटिक परिवर्तन होता है तथा इसमें किसी बाहरी जेनेटिक सामग्री का समावेश नहीं होता, इसलिए अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे अनेक देशों ने इस तरह की संशोधित किस्मों को नियमों से छूट दे दी है। अन्य देश (दक्षिण अमेरिकी देश) हर मामले के आधार पर जेनेटिक परिवर्तन की तीव्रता के लिए संशोधित फसल की जाँच करते हैं और उन्हें विस्तृत जाँच या डेटा की जरूरत के बिना अल्प नियमों के दायरे में रखते हैंइस तरह के विज्ञान आधारित नियम अभिनवता को संबल देते हैं और आगे चलकर किसानों व उपभोक्ताओं, दोनों की मदद करेंगे।

भारत भी जीन एडिटेड पौधों के लिए नियमों का विकास करने की प्रक्रिया में हैयह दक्षिण एशिया का पहला देश होगा, जहां पर इसके लिए नियम होंगे और अन्य देशों के लिए यह एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा। विज्ञान आधारित, अनुमानजन्य नियम से सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों में टेक्नॉलॉजी के उपयोग में सुधार होगा एवं अनेक खिलाड़ी विविध फसलों में सुधार करेंगेबिना तर्क के कठोर नियम व्यवस्था पौधा उत्पादकों के लिए टेक्नॉलॉजी का उपयोग सीमित हो जाएगा क्योंकि इसके प्रतिबंधात्मक खर्च इसे किसानों तक नहीं पहुंचने देंगे। व्यापार में संलग्न राष्ट्रों के बीच संशोधित फसलों एवं संशोधित फसलों से बने उत्पाद के लिए नियम एवं डेटा की जरूरतों के बारे में मतभेद से क्षेत्र में वस्तुओं का व्यापार प्रभावित होगा तथा जिन देशों में नियम ज्यादा कड़े होंगे, उन्हें राजस्व का नुकसान होगा

सरकार का कृषि विभान एक्सटेंशन यूनिट्स (केवीके) के अपने विस्तृत नेटवर्क के साथ एग्री-वैल्यू चेन के विभिन्न अंशधारकों व उपभोक्ताओं के बीच जीन एडिटिंग टेक्नॉलॉजी एवं इसकी सामर्थ्य के बारे में जागरुकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। संशोधित उत्पादों को खेती के लिए उपयोग करना आसान होने, जीन एडिटेड फसलों को किसानों द्वारा स्वीकार करने एवं जीन एडिटेड फसलों का आहार उपभोक्ताओं द्वारा स्वीकार करने से इस टेक्नॉलॉजी की अंतिम सफलता सुनिश्चित होगी और हम इसकी सामर्थ्य का उपयोग कर पाएंगे

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