अस्पतालों में वेंटिलेटर, आईसीयू बेड व ऑक्सीजन की कमी नहीं, राजस्थान मृत्युदर और रिकवरी रेट में दूसरे बड़े राज्यों से कहीं बेहतर: गहलोत
कोरोना महामारी से इस सबसे बड़ी जंग का सामना करने के लिए राजस्थान के पास हथियारों की कोई कमी नहीं है। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में कोविड की जांच एवं उपचार के लिए राजधानी से लेकर जिलों तक चिकित्सा सुविधाओं का मजबूत नेटवर्क स्थापित किया गया है।
प्रदेश में कहीं भी संसाधनों की कोई कमी नहीं है। हमारे पास 3018 ऑक्सीजन बेड हैं, जिनमें 872 ही उपयोग में आ रहे हैं। 913 आईसीयू बेड हैं, जिनमें 406 और 490 वेंटिलेटर में से 113 पर ही मरीज हैं। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए जयपुर के आरयूएचएस, जयपुरिया हाॅस्पिटल तथा रेलवे हाॅस्पिटल में 50-50 नए ऑक्सीजन बेड भी लगाए गए हैं।
संभागीय मुख्यालयों के अस्पतालों के साथ ही जिला अस्पतालों में भी ऑक्सीजन बेड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है। प्रदेश में कोविड-19 के लिए 130 डेडिकेटेड अस्पताल चिन्हित हैं। इसके अलावा 292 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं। मगर इन सबके बीच प्रदेशवासियों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। सभी तरह के हेल्थ प्रोटोकॉल, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी ईमानदारी से पालन करना है।
हमारे लिए ये हैं अच्छे संकेत
प्रदेश में रिकवरी रेट 82.30% जबकि देश की 77.2 प्रतिशत
- प्रदेश में ठीक हाेने वाले मरीजों की दर यानी रिकवरी दर 82.30 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 77.22 प्रतिशत ही है।
- कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र आदि के मुकाबले राजस्थान का रिकवरी रेट बहुत बेहतर है।
- प्रदेश में 15,577 एक्टिव केस हैं, जबकि राजस्थान से कम जनसंख्या वाले आंध्र एवं कर्नाटक में 6 गुना से भी अधिक यानी करीब 1-1 लाख एक्टिव केस हैं।
प्रदेश में मृत्युदर 1.26% जबकि देश में यह दर 1.72 प्रतिशत है…
- सीएम गहलोत ने कहा- देशभर में पाॅजिटिव केसेज की संख्या बढ़ रही है। प्रदेश में भी पाॅजिटिव केसेज बढ़े हैं, लेकिन हम मृत्यु दर न्यूनतम रखने में कामयाब रहे हैं।
- पिछले दो महीने में तो राज्य में मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम रही है। वर्तमान में राजस्थान में कोरोना से औसत मृत्यु दर 1.26% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1.72 प्रतिशत, गुजरात में 3 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 2.15, दिल्ली में 2.41, यूपी में 1.48% है।
सरकार के कदम…जो हथियार बने
- सरकारी अस्पताल में बेड भर जाएं तब जरूरी होने पर निजी चिकित्सालयों में भी कोविड रोगियों का फ्री इलाज हो सकेगा।
- जो स्वयं के खर्चे पर निजी अस्पतालों में उपचार कराना चाहें, उन्हें भी उचित दरों पर इलाज दिलाने के लिए निजी अस्पतालों व लैब में जांच-उपचार की दरें तय की हैं।
- राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए यह व्यवस्था भी की है कि जिन रोगियों की स्थिति गंभीर नहीं है, उन्हें वे निर्धारित दरों पर नजदीकी होटल में भी रख सकते हैं ताकि गंभीर रोगियों को आक्सीजन व आईसीयू बेड की कमी न रहे। पर इसके लिए उन्हें कलेक्टर की मंजूरी लेनी होगी।