छात्रों को बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में बताया
केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के तहत छात्रों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित हुआ।
वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग, संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मंत्रालय के पेटेंट और डिजाइन के परीक्षक अधिकारी डॉ. सुरजीत पाल ने बताया कि बौद्धिक संपदा का मतलब नैतिक और वाणिज्यिक रूप से मूल्यवान बौद्धिक सृजन है। बौद्धिक संपदा अधिकार तय समयावधि और तय भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनजर दिए जाते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार का मूल उद्देश्य बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना तथा इसके दुरुपयोग को रोकना है। इसके अंतर्गत पेटेंट, कॉपी राइट, ट्रेड मार्क, डिजाइन और भौगोलिक संकेतक आते हैं।
प्राचार्य वीके त्यागी ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार एक कानूनी अवधारणा है, जो काम के रचनाकारों को उनकी बौद्धिक रचनात्मकता के लिए अधिकार प्रदान करती है। ऐसे अधिकार साहित्य, संगीत, आविष्कार आदि से संबंधित क्षेत्रों के लिए दिए जाते हैं। उप प्राचार्या अंजू सिंह ने कहा कि मनुष्य अपनी बुद्धि से कई तरह के आविष्कार और नई रचनाओं को जन्म देता है। संचालन पुस्तकालय अध्यक्ष पूनम कुमारी ने किया।