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गुरुकुल में नव प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन संस्कार कराया

गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय परिसर स्थित अमृत वाटिका की यज्ञशाला में शुक्रवार को नव प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन यज्ञोपवित एवं वेदारम्भ संस्कार वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ कराया गया। यज्ञ के ब्रह्मा डॉ. योगेश शास्त्री रहे। उन्होंने ब्रह्मचारियों को उपनिषद के अनुसार आगे के लिए प्रेरित किया।

गुरुकुल के मुख्याध्ष्ठिाता डॉ. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि परिश्रम ही जीवन को श्रेष्ठ बनाता है, जो मानव जीवन का मुख्य बिन्दु है। आचार्य ब्रह्मचारियों को दिशा प्रदान करता है। सहायक मुख्याध्ष्ठिाता डॉ. नवनीत परमार ने अभिभावकों को श्रावणी उपाकर्म पर्व की बधाई दी। कहा कि आपने-अपने बच्चों को गुरुकुल में भेजकर श्रेष्ठ कार्य किया है। गुरुकुल ही हमारी प्राचीन पद्धति है। माता-पिता बालक के जीवन को उत्तम बनाने के लिए श्रेष्ठ आचार्यों के संरक्षण में भेजता है। मुख्याध्यापक डॉ. बिजेन्द्र शास्त्राी ने अथर्ववेद के ब्रह्मचर्य सूक्त के महत्व को बताते हुए उपनयन और वेदारम्भ के महत्व को समझाया तथा सभी आगन्तुक अभिभावकों एवं अतिथियों का स्वागत एवं अभिवादन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्कृत में वेदपाठ मनप्रीत, गौरव, अंशु, आदित्य एवं दिव्याशुं कक्षा 12 ने किया। संस्कृत गीत प्रीतम, जय चौहान, आदित्य और अभिरुप कक्षा 3 ने प्रस्तुत किया। अविरल व तरुण कक्षा 12 ने रक्षा बंधन के महत्व को संस्कृत में बताया। समीर राज कक्षा 8 ने संस्कृत में गुरुकुल के उद्देश्य प्रस्तुत किए। इस अवसर पर परमवीर, वंशगिरी, जतिन, कृष्णा कक्षा 6 ने हिन्दी गीत प्रस्तुत किया। पिन्टु राज कक्षा 9 एवं अर्जुन कक्षा 8 ने हिन्दी भाषण प्रस्तुत किए। संचालन डॉ. योगेश शास्त्री ने किया।

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