संस्कृत विवि से पास आउट छात्रों ने अनुभव साझा किए
केंद्रीय संस्कृत विवि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर से पास आउट हो चुके छात्रों ने परिसर के जूनियर छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने नये छात्रों से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला कर विषम वातावरण में संतुलन बनाए रखने को कहा। कहा अब परिसर में धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ रही हैं,इसलिए छात्रों को मनोयोग से पढ़ाई करनी चाहिए।
संस्कृत सप्ताह के समापन पर संस्कृत विवि परिसर के निदेशक प्रो. एम चंद्रशेखर के मार्गदर्शन में परिसर के पुरातन छात्रों ने वहां पर अध्ययनरत छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किये। परिसर निदेशक ने कहा धीरे-धीरे परिसर सुविधाएं बढ़ रही हैं, साथ ही छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि परिसर के विकास, शैक्षिक वातावरण बनाने और छात्रों को प्रेरित करने का काम भी किया जा रहा है। मुख्य अतिथि एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि की संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. कमला चौहान ने कहा कि संस्कृत हमारे पौराणिक ज्ञान का भंडार है। संस्कृत में वैदिक काल में सभी विषयों का अध्ययन और अध्यापन होता था।
उन्होंने कहा कि आज संस्कृत के महत्त्व को देखते हुए ही देश-दुनिया के लोग संस्कृत अपनाने लगे हैं। परिसर निदेशक कहा कि देवप्रयाग संस्कृत परिसर के विद्यार्थियों को देश के बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध के लिए जाना जाता है। यह परिसर भविष्य में उत्तराखंड के छात्रों को रोजगार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मौके पर डॉ दिनेश चंद्र पांडे,डॉ. शैलेंद्र प्रसाद,डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, डॉ.अवधेश बिजल्वांण,डॉ. अरविंद गौर, नवीन डोबरियाल,डॉ.सुरेश शर्मा, डॉ दिनेशचंद्र पांडेय, डॉ. श्रीओम शर्मा, जनार्दन सुवेदी,डॉ.मौनिका बोल्ला, डॉ. अमंद मिश्र, पंकज कोटियाल आदि मौजूद थे।