डीजीपी से सीधे आरपीएससी चेयरमैन बने भूपेन्द्र:डीजी क्राइम लाठर अब पुलिस के बिगबॉस, कोरोना ने बदली विदाई परंपरा; सिर्फ मुख्यालय के बड़े अफसर मौजूद, किसी को निमंत्रण नहीं
पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह काे आरपीएससी चेयरमैन बनाए जाने के बाद बुधवार दाेपहर काे पुलिस मुख्यालय से परंपरागत तरीके से उनकी गाड़ी को धक्का लगाकर विदाई दी गई। मुख्यालय में आयाेजित समाराेह में आरएसी टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। मुख्यालय में पुलिस अफसरों में सबसे वरिष्ठ आईपीएस डीजी क्राइम एमएल लाठर काे डीजीपी का चार्ज साैंपा गया है। इस बार डीजीपी के विदाई समारोह में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत परंपरा बदली। विदाई समाराेह में पुलिस मुख्यालय से बाहर तैनात डीजी स्तर के अधिकारियाें व मुख्यालय में भी लगे एसपी स्तर तक के अधिकारियाें काे विदाई समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया, जिसकी वजह से डीजी जेल राजीव दासाेत और डीजी एसीबी बीएल साेनी, एडीजी एसीबी एम एन दिनेश समाराेह में नहीं आए।
हालांकि डीजी जेल राजीव दासाेत प्रदेश के सबसे सीनियर आईपीएस हैं मगर मुख्यालय से बाहर तैनात हैं। एडीजी साैरभ श्रीवास्तव का कहना है कि काेराेना संक्रमण के चलते डीजीपी के विदाई कार्यक्रम में मुख्यालय में तैनात डीआईजी और इनसे उच्च पदस्थ अधिकारियाें काे ही बुलाया गया था। एसपी और एसपी स्तर से नीचे के अधिकारियाें काे नहीं बुलाया। साेशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए मुख्यालय के हाॅल में जितने लाेगाें के बैठने की व्यवस्था थी उतने ही बुलाए गए थे।
विदाई समाराेह के बाद डीजी लाठर, एडीजी साैरभ श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियाें ने डीजीपी की गाड़ी काे मुख्यालय के गेट तक धक्का देकर लेकर गए और विदाई दी। इसके बाद मुख्य गेट से पत्नी डाॅ. प्रतिभा यादव के साथ खुद की कार से बंगले के लिए रवाना हुए। राज्य सरकार ने डीजीपी की ओर से व्यक्तिगत कारण की वजह से वीआरएस मांगने के बाद मंगलवार काे वीआरएस मंजूर कर लिया था।
इसके बाद बुधवार काे उन्हें आरपीएससी चेयरमैन बना दिया। मुख्यालय में विदाई समाराेह के बाद भूपेन्द्र सिंह अजमेर में आरपीएससी पहुंचे और चेयरमैन का पद संभाल लिया। भूपेन्द्र सिंह दिसंबर 2021 तक चेयरमैन के पद पर रहेंगे। विदाई के वक्त भूपेन्द्र सिंह ने कहा- सवा साल तक दायित्वाें काे जिम्मेदारी से निभाने का प्रयास किया। सरकार, पुलिस अधिकारीगण, पुलिसकर्मी व जनता का सहयाेग मिला। विदाई समाराेह के दाैरान डीजीपी ने उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियाें एवं कर्मचारियाें से व्यक्तिश: मिलकर उन्हें सहयाेग के लिए धन्यवाद दिया। इससे पहले डीजीपी ने पीएचक्यू में कार्यरत 42 सफाई कर्मियाें काे शाॅल भेंटकर धन्यवाद दिया।
डीजीपी लाठर और आरपीएससी चेयरमैन यादव के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं
- राष्ट्रपति पदक सहित 6 पदक पा चुके एमएल लाठर दस्यू उन्मूलन और गोलीकांडों में कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं
- सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके भूपेन्द्र सिंह डीजीपी से सीधे आरपीएससी चेयरमैन
माेहनलाल लाठर भारतीय पुलिस सेवा के वर्ष 1987 बैच के अधिकारी हैं। पुलिस पदक, विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, बार टू पुलिस मैडल फाॅर स्पेशल ड्यूटी, ऑपरेशन पराक्रम मैडल सहित छह पदकाें से सम्मानित लाठर काे विशेष रूप से दस्यू उन्मूलन, कानून व्यवस्था की विकट परिस्थितियाें पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है।
वर्ष 2005 में टाेंक के सुहेला कांड के समय बिगड़ी कानून व्यवस्था काे 12 घंटे में सामान्य करने में उनके याेगदान काे सराहा गया। 2011 में गाेपालगढ़ गाेलीकांड में 13 लाेगाें की माैत से तनाव हुआ तो लाठर काे तैनात किया गया। हाल ही डूंगरपुर व खेरवाड़ा कस्बे में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर उदयपुर पहुंच कर स्थितियाें काे सामान्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
लाठर सिराेही, दाैसा, धाैलपुर, काेटा ग्रामीण,उदयपुर के पुलिस अधीक्षक रहे। डीआईजी के रूप में बीएसएफ बाड़मेर,व बीकानेर आरएसी,सीआईडी इंटेलीजेंस, आरपीए में सेवाएं दी। जयपुर रेंज आईजी व आरएसी में आईजी रहे। एडीजी के ताैर पर पुलिस आवासन, सीआईडी सिविल राइट्स, कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाला। लाठर की पत्नी गृहिणी, पुत्र कम्प्यूटर इंजीनियर तथा पुत्री आईआरएस अधिकारी हैं। भूपेन्द्र सिंह 1986 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। एमबीबीएस के साथ ही इंग्लिस लिटेचर में एमए किया है। 2002 में पुलिस मेडल व 2016 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित हाे चुके। सबसे पहली पाेस्टिंग 1988 में बारां में एएसपी के रूप में हुई। बारां, चूरू, सवाई माधाेपुर में एसपी रहे। 1995 में 4 साल के लिए सीबीआई में डेपुटेशन पर रहे। 1999 में सीबीआई से लाैटने पर जाेधपुर में एसपी, एसीबी और सीआईडी क्राइम ब्रांच में डीआईजी रहे। भूपेन्द्र सिंह आईजी के रूप में भरपुर रेंज, एसीबी, हेडक्वार्टर तथा आरपीए में रहे।
इसके साथ ही सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, एडीजी हैडक्वार्टर, एडीजी जेल, डीजी जेल, डीजी एटीएस के साथ ही करीब सवा साल तक डीजीपी रहे। उनकी बेदाग छवि काे देखते हुए राज्य सरकार ने पहली बार डीजीपी के पद पर उन्हें एक्सटेंशन दिया। अब उन्हें आरपीएससी चेयरमैन बनाया गया है।
बुधवार दोपहर 12:30 बजे
राज्य सरकार द्वारा डीजीपी भूपेन्द्र सिंह यादव की वीआरएस अर्जी मंजूर करने के बाद उन्हें आरपीएससी चेयरमैन पद पर लगाया गया है। पुलिस हैडक्वार्टर में उन्हें डीजीपी पद से विदाई दी गई। कार्यवाहक डीजीपी लगाए गए डीजी क्राइम एमएल लाठर ने भूपेन्द्र सिंह यादव की कार को धक्का लगाया।
बुधवार शाम 5 बजे
भूपेन्द्र सिंह यादव पीएचक्यू से विदा होकर पहलले अपने बंगले पर गए। करीब एक घंटे बाद वे सीधे अजमेर रवाना हो गए। शाम करीब 5 बजे आरपीएससी के निवर्तमान चेयरमैन दीपक उप्रेती ने नए चेयरमैन भूपेंद्र सिंह को चार्ज सौंपने के बाद कहा- हम रिटायर हुए। अब आप ये पद संभालिए।