पहली बार जनपद के सबसे दूरस्थ डुमक-कलगोठ गांव पहुंचे जिलाधिकारी
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना शुक्रवार को 18 किमी पैदल पगडंडी नापकर जिले के सबसे दूरस्थ गांव डुमक पहुंचे। 32 वर्ष बाद डुमक गांव में डीएम और अन्य अधिकारियों को देख कुछ ग्रामीण भावुक हो गए तो कुछ खुश हो उठे। उन्होंने डीएम को फूलमालाएं पहनाईं और उनका स्वागत किया। इस दौरान ग्रामीणों ने उन्हें गांव की समस्याएं बताईं और उम्मीद जताई कि अब हमारी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
जिलाधिकारी शुक्रवार को सुदूरवर्ती गांव के भ्रमण पर गए। उन्होंने किमाणा, कलगोठ और डुमक पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनीं और विभिन्न विकास योजनाओं का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने कलगोठ में एएनएम सेंटर और प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। कलगोठ की ग्राम प्रधान बीना देवी और ग्रामीणों ने कहा कि 32 वर्षों के बाद गांव में कोई जिलाधिकारी आया है। अब क्षेत्र की समस्याओं का समाधान हो पाएगा। इस दौरान ग्रामीणों ने सैंजी लग्गा कुजौं-मैकोट मोटर मार्ग पर 22 से 24 का समरेखण विवाद दूर करने, जीआईसी कलगोठ में शिक्षकों व प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर तैनाती करने, विद्यालय में प्रयोगशाला निर्माण, फसलों की सुरक्षा के लिए घेरबाड़ करने की मांग उठाई। जिलाधिकारी ने कहा कि यहां आने का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों की समस्याएं और चुनौतियों को जानना और उनका स्थानीय स्तर पर समाधान करना है। डीएम गांव में ही रात्रि विश्राम करेंगे और घिंघराण होते हुए गोपेश्वर लौटेंगे।
डुमक गांव उत्तराखंड राज्य में सड़क मार्ग से सबसे लंबी पैदल दूरी वाला गांव है। गांव तक पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग रास्तों से 18 से 22 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। दरअसल गांव का रास्ता खड़ी चढ़ाई वाला है और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां तक सड़क नहीं बन पा रही है। डुमक गांव में 91 और कलगोठ में 90 परिवार रहते करते हैं। इन गांवों में नकदी आलू, चौलाई और राजमा की अच्छी खेती होती है।