Mon. Nov 25th, 2024

अब स्थानीय निकायों में सदस्य मनोनीत किए जाएंगे दिव्यांगजन, देश का पहला राज्य होगा राजस्थान

राजस्थान में अब सत्ता और राजनीति में दिव्यांगों की ताकत दिखाई देगी। इसकी वजह है कि अब स्थानीय निकायों में दिव्यांग जनों की भागीदारी सुनिश्चित हो गई है। दिव्यांग व्यक्ति प्रदेश के निकायों में सदस्यों के रूप में मनोनीत किए जाएंगे। जिससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा। साथ ही वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने साथियों के आवाज को भी मजबूती से उठा पाएंगे।

इस संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दिव्यांगों के हित में बड़ा निर्णय लिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव में अब दिव्यांगों को सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाएगा। पिछले कई सालों से दिव्यांगजनों को निकायों में भागीदारी देने की मांग चल रही थी। इसके बाद पिछले दिनों राज्य सरकार ने यह कदम उठाया। दावा किया जा रहा है कि दिव्यांगों की राजनीति और सत्ता में भागीदारी वाला राजस्थान ऐसा पहला राज्य है।

राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर दिव्यांग अधिकारी महासंघ के उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल का कहना है कि यह एक क्रांतिकारी फैसला है। गोयल के मुताबिक इस फैसले के बाद जिस तरह से राजनीति और नौकरियों में तमाम वर्गों को आरक्षण का लाभ मिलता है। अब ठीक उसी तरह से दिव्यांगों के लिए भी स्थानीय निकायों में सदस्य की सीटें आरक्षित होगी। वे नगर निगम और नगर परिषद में पार्षद के रूप में मनोनीत किए जाएंगे।

कोर्ट में याचिका दायर की गई थी

महेश भाई गोयल ने बताया कि वे पिछले 10 वर्षों से दिव्यांगों के हितों की आवाज उठा रहे थे। इस मामले में संगठनों ने सीएम को कई बार ज्ञापन सौंपे। कई बार मांग-पत्र भेजे थे। यहां तक की विशेष योग्यजन न्यायालय में भी याचिका दायर की थी। जिसके बाद अब स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक और विशिष्ट सचिव दीपक नंदी ने गत 12 अक्टूबर को विशेष योग्यजन न्यायालय के उपायुक्त को पत्र लिखकर जानकारी दी है।

जिसमें नंदी ने बताया कि दिव्यांगों को सत्ता एवं राजनीति में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से स्थानीय निकाय संस्थानों में मनोनीत करने के संबंध में आए प्रस्ताव का परीक्षण करवाया गया था। इसके बाद दिव्यांगों के निकायों में मनोनयन संबंधी प्रावधान करने का निर्णय लिया गया है।

निकायों में भागीदारी सुनिश्चत,पंचायतों में इंतजार

स्थानीय निकायों (नगर निगम) में दिव्यांग जनों की भागीदारी सुनिश्चित होने के बाद अब पंचायतीराज चुनावों में दिव्यांगों की भागीदारी और उनके मनोनयन करने का इंतजार है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि पंचायतीराज चुनाव में कब तक आरक्षण मिलेगा और कब दिव्यांगों को और राहत मिल पाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *