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खुशखबरी(देहरादून) शिक्षकों की टीम की मेहनत लाई रंग.अब इन भाषाओं की लोक कथाएं भी पढ़ाई जाएंगी प्राथमिक विद्यालय में. बच्चे जानेंगे अपनी संस्कृति के बारे में।।

राज्य शिक्षा विभाग ने गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, गुरुमुखी और बंगाली भाषाओं में उत्तराखंड की कुछ लोकप्रिय लोक कथाओं को लिपिबद्ध किया है और उन्हें एक पुस्तक के रूप में संकलित किया है। स्थानीय भाषाओं की कहानियों वाली यह पुस्तक अगले शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के सरकारी स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में लागू की जाएगी। उत्तराखंड में लगभग 5,000 सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं।
स्कूली शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी कहते हैं कि शिक्षकों की एक टीम को हर भाषा में काम सौंपा गया था और उन्होंने काम पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य उन लोक कथाओं को पुनर्जीवित करना है जो आधुनिक दुनिया में लुप्त होती जा रही हैं। तिवारी ने कहा कि विभाग विभिन्न स्थानीय भाषाओं में कुछ दिलचस्प लोक कथाओं का वर्णन करते हुए प्रमुख हस्तियों को रिकॉर्ड करने की योजना पर भी काम कर रहा है

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