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अब और अधिक सटीक ढंग से मिलेगा मौसम का पूर्वानुमान, बना ये नया प्‍लान

 देहरादून: प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में मौसम का पूर्वानुमान अब ज्यादा सटीक ढंग से मिल सकेगा।

इस कड़ी में आपदा के जोखिम से बचाव व न्यूनीकरण के लिए वेदर नेटवर्क स्टेशन की स्थापना और वास्तविक समय मौसम सूचना प्रणाली (रियल टाइम वेदर इन्फार्मर सिस्टम) के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) एवं मौसम विभाग के मध्य पूर्व में हुए समझौता ज्ञापन की अवधि पांच वर्ष बढ़ा दी गई है।

सचिवालय स्थित यूएसडीएमए सभागार में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में इस समझौता ज्ञापन पर सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा और राज्य मौसम केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा ने कहा कि मौसम विभाग और यूएसडीएमए के मध्य यह एमओयू एक नई पहल है। यह प्रधानमंत्री के विचारों के अनुरूप कोआपरेटिव फेडरलिज्म का उदाहरण है। इसमें एक केंद्रीय एजेंसी राज्य के साथ उसकी जरूरतों के अनुसार आपदा प्रबंधन में प्रभावी व्यवस्था बनाने में भागीदारी कर रही है।

डा सिन्हा ने कहा कि उत्तराखंड में मुख्य रूप से वर्षा संबंधी आपदाओं में भूस्खलन, बाढ़, बिजली गिरने जैसे जोखिम की अधिकता है। इसे देखते हुए पिछले कुछ वर्षों में राज्य में मौसम विभाग का नेटवर्क सघन किया गया है। हाल में मौसम विज्ञान के क्षेत्र में कई प्रगतिशील कार्य हुए हैं।

अब मौसम विभाग का पूर्वानुमान लगभग सटीक होता है, लेकिन इसमें और ज्यादा सटीकता की आवश्यकता है। हम इसे एक चरण आगे ले जाना चाहते हैं। अब जरूरत क्षेत्र विशेष की सूचना की है, ताकि कोई आपदा की आशंका होने पर आपदा प्रबंधन तंत्र पहले से सतर्क व तैयार हो जाए।

सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि वर्तमान में राज्य में मुक्तेश्वर व सुरकंडा देवी में डाप्लर राडार काम कर रहे हैं। लैंसडौन में इसकी स्थापना का काम चल रहा है। जल्द ही चार-पांच और डाप्लर राडार स्थापित करने की योजना है। गढ़वाल व कुमाऊं में एक-एक लाइटनिंग राडार भी लगने हैं, ताकि वज्रपात का भी सटीक पूर्वानुमान मिल सके। मौसम विभाग इन सभी के स्थल चयन के साथ ही इसमें तकनीकी सहयोग देगा।

समझौता ज्ञापन के अनुसार मौसम विभाग द्वारा राज्य में चयनित आटोमैटिक वेदर स्टेशन, आटोमैटिक रेन गेज व स्नो गेज, कांपेक्ट डाप्लर राडार के लिए स्थल चयन, स्थापना, परीक्षण व संचालन के लिए मार्गदर्शन व दिशा निर्देश देगा।

यूएसडीएमए की सहायता से स्थापित होने वाले इस तंत्र के अंतिम निरीक्षण में मौसम विभाग सहायता करेगा। उपकरणों की देखभाल की जिम्मेदारी यूएसडीएमए की होगी। उपकरणों से मिलने वाले आंकड़ों को सीधे मौसम विभाग के सर्वर में भेजा जाएगा।

इससे यूएसडीएमए को वास्तविक समय मौसम सूचना आनलाइन मिल जाएगी। कार्यक्रम में अपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल समेत यूएसडीएमए के अधिकारी उपस्थित थे।

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