Mon. Apr 28th, 2025

सुनवाई को गठित होगी पांच जजों की बेंच

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर ध्यान देते हुए यह फैसला लिया। दरअसल, पिछले साल 30 अगस्त को पांच जजों ने इस मामले की सुनवाई की थी लेकिन इस बीच जस्टिस इंदिरा बनर्जी और हेमंत गुप्ता रिटायर हो गए। जिससे अब एक बार फिर से पांच जजों की संविधान पीठ गठित करने की आवश्यकता है।
इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़स न्यायमूर्ति हिमा कोहली न्यायमूर्ति जे.बी पर्दीवाला की पीठ से अनुरोध किया था कि इस मामले में संविधान पीठ को नए सिरे से गठित करने की आवश्यकता है, क्योंकि पिछले संविधान पीठ के दो न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता- सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

सीजेआई ने कहा कि बहुत ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं जो पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष लंबित हैं। हम इस मामले में भी पांच सदस्यीय पीठ का गठन करेंगे और इस मामले को ध्यान में रखेंगे। उपाध्याय ने पिछले साल दो नवंबर को भी इस मामले का जिक्र किया था।
गौरतलब है कि इससे पहले 30 अगस्त 2022 को पांच जजों की संविधान पीठ ने  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को जनहित याचिकाओं में पक्षकार बनाया था और उनसे जवाब मांगा था। इस पीठ में  जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया शामिल थे। हालांकि, जस्टिस बनर्जी और जस्टिस गुप्ता इस साल क्रमशः 23 सितंबर और 16 अक्तूबर को सेवानिवृत हो गये, जिससे बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ की प्रथाओं के खिलाफ 8 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन की जररूत पड़ी।

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