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24 साल बाद शुल्क में होगी बढ़ोतरी, दाखिल खारिज के लिए चुकाने होंगे दो से 50 हजार रुपये

24 साल बाद देहरादून नगर निगम दाखिल खारिज के शुल्क में भारी बढ़ोतरी करने जा रहा है। अभी तक सभी तरह के दाखिल खारिज के लिए 150 रुपये चुकाने पड़ते हैं। लेकिन, अब स्टांप शुल्क के आधार पर आवासीय, गैर आवासीय और व्यावसायिक संपत्ति के लिए अलग-अलग दरें चुकानी होंगी। यह शुल्क दो से 50 हजार तक होगा। निगम की ओर से इसका प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जाएगा।

दरअसल, वर्ष 1999 से नगर निगम की सीमा में संपत्तियों के दाखिल खारिज के लिए 150 रुपये शुल्क निर्धारित है। निगम का कहना है कि दाखिल खारिज के लिए डाक से एक नोटिस भेजने पर 35 रुपये खर्च होता है। देश के बाहर नोटिस भेजने पर 90 रुपये तक खर्च होता है। इसलिए जो शुल्क निर्धारित है, वह काफी कम है। दाखिल खारिज और टैक्स की ऑनलाइन सुविधा शुरू होने से भी काफी खर्च हुआ है।

पिछली बोर्ड बैठक में दाखिल खारिज शुल्क पांच हजार रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया था। साथ ही आवासीय संपत्तियों के दाखिल खारिज के लिए निर्धारित स्टांप का एक फीसदी और व्यावसायिक संपत्ति के लिए निर्धारित शुल्क का दो फीसदी का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन, बोर्ड ने इस प्रस्ताव को टालकर निर्धारण के लिए एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अब दाखिल खारिज के शुल्क के लिए अपनी रिपोर्ट दे दी है।

कमेटी की ओर से सुझाया गया शुल्क

विरासत, उत्तराधिकारी, वसीयत, बंटवारानामा, कोर्ट के निर्णय के आधार पर दाखिल खारिज : 2000

आवासीय संपत्ति

  • सात लाख रुपये मूल्य के पंजीकृत विलेख मूल्य पर : 2000
  • सात लाख रुपये से 15 लाख मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 4600
  • 15 लाख से 50 लाख मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 6000 रुपये
  • 50 लाख से एक करोड़ रुपये के पंजीकृत विलेख पर : 20,000
  • एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 30,000
गैर आवासीय, व्यवसायिक, गैर आवासीय संपत्ति
  • 20 लाख मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 8000
  • 20 लाख से 40 लाख मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 15,000
  • 40 लाख से 80 लाख मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 25,000
  • 80 लाख अधिक मूल्य से अधिक मूल्य के पंजीकृत विलेख पर : 50,000
दाखिल खारिज का शुल्क काफी कम होने से निगम को नुकसान उठाना पड़ रहा है। लिहाजा शुल्क बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है। कमेटी ने नया शुल्क निर्धारित किया है। इसका प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
– मनुज गोयल, नगर आयुक्त

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