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शोधपरक एवं रोचक हो पाठ्यक्रम : प्रो. जोशी

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एक समान पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए द्वितीय तीन दिवसीय पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला मंगलवार को शुरू हुई। विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि विद्यार्थी को रट्टामार एवं बोझिल पाठ्यक्रम से बाहर निकालकर ऐसे शोध एवं गतिविधि आधारित रोचक पाठ्यक्रम तैयार किए जाएं जिससे विद्यार्थी समस्या-समाधान के प्रति प्रेरित हो सकें।

इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी, उत्तराखंड मुक्त विवि के कुलपति प्रो. ओम प्रकाश सिंह नेगी, सोबन सिंह जीना विवि के कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट, श्री देव सुमन विवि के कुलपति प्रो. महाबीर सिंह रावत, सलाहकार रूसा प्रो. एमएसएम रावत, सलाहकार रूसा प्रो. केडी पुरोहित एवं कुलसचिव कुमाऊं विवि दिनेश चंद्रा ने किया।

मंगलवार को कार्यशाला में प्रो. एनके जोशी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, नवोन्मेष और शोध को बढ़ावा देने और देश को ज्ञान का सुपर पावर बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार किया गया है। कार्यशाला में सलाहकार रूसा प्रो. एमएसएम रावत ने सीखने के लिए सर्वोत्तम वातावरण और छात्रों को सहयोग, व्यावसायिक शिक्षा के नवीन रूप, गुणवत्तायुक्त अकादमिक अनुसंधान आदि पर अपने सुझाव और कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से छात्रों के चहुमुंखी विकास, बहुविषयक दृष्टिकोण आदि पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

विद्यार्थियों को सामाजिक विकास में अहम भूमिका निभाने की जरूरत
प्रो. केडी पुरोहित ने कहा कि अब सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को सामाजिक विकास और बदलाव में भी अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। प्रो. ओम प्रकाश सिंह नेगी ने शिक्षा के व्यवहारीकरण व गुणवत्ता पर बल देते हुए अपने अनुभव साझा किए। प्रो. महाबीर सिंह रावत ने कहा कि विद्यार्थियों में चुनौतियों के लिए और कुछ नया प्रयोग करने के लिए उमंग हो। प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने दक्षता आधारित रुचिकर पाठ्य निर्माण पर जोर दिया। इस मौके पर प्रो. अतुल जोशी, प्रो. नीता बोरा शर्मा, डॉ. सावित्री दुुग्ताल, डॉ. महेंद्र राणा, प्रो. इंदु पाठक, प्रो. सतपाल बिष्ट, प्रो. कुमुद उपाध्याय, डॉ. संतोष कुमार आदि मौजूद रहे। संचालन प्रो. संजय पंत ने किया

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